Uttarakhand Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश जारी है। पीएम के प्रधान सचिव ने सुरंग में फंसे मजदूरों से बात की है। फिलहाल ऑगर मशीन खराब हो जाने के बाद चिंता काफी बढ़ गई थी लेकिन काम एक बार फिर शुरू हुआ है। इस सुरंग में पिछले 15 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक खुदाई के लिए 6 रैट माइनर्स की एक टीम को भी बुलाया गया है। यह रास्ता बनाने के लिए चूहों की तरह काम करते हैं और मलबे को बाहर निकालते हैं। अधिकारियों का कहना है कि अब बचाव दल फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए बचे हुए मलबे को मैन्युअल रूप से खोदने की योजना बना रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है की सुरंग में 36 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम पूरा शुरू हो चुका है। बचावकर्मियों को मलबे में से ड्रिल करके मज़दूरों तक रास्ता बनाने की कोशिश में कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तराखंड सरकार के सचिव डॉ नीरज खैरवाल ने मीडिया को बताया कि ऑगर मशीन के हिस्सों को सुरंग से काट-काटकर निकाल लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह काम सुबह चार बजे काम पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का हेड अभी भी अंदर फंसा हुआ है... उसके लिए पाइप को भी काटा गया है।
PM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ. पीके मिश्रा ने सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों से बात की। उन्होंने सुरंग के बाहर मौजूद मजदूरों के परिजनों से भी बात की। इसके अलावा उन्होंने मजदूरों को भेजे जा रहे फूड आइट्स की बारे में भी पता किया।
रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज ने बताया कि वो घटना स्थल पर सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के मेंटल स्वास्थ्य के लिए हूं। यह टेक्नोलॉजी भारत में ही डेवलप की गई है। हम चौबीसों घंटे मजदूरों की हेल्थ का ख्याल रख सकते हैं। उन्हें इंटरनेट सर्विस भी प्रदान की जाएगी।
सिलक्यारा में बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे BRO के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने मंगलवार को बताया कि अब तक 31 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जा चुकी है। इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को वर्टिकल तरीके से सुरंग के टॉप से नीचे की ओर डाला जाएगा। अधिकारियों ने रविवार को बताया था कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा।
निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग 31 मीटर तक पहुंच चुकी है। Horizontal ड्रिलिंग कर रही ऑगर मशीन के टूटने के बाद वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए रविवार को सुरंग के ऊपर से वर्किकल ड्रिलिंग शुरू की गयी थी।
अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा है कि काम तेजी से जारी है और जल्द ही कामयाबी हासिल कर ली जाएगी। हम प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे टीम पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है... मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी और यह सुरक्षित है।
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) सिल्कयारा सुरंग स्थल पर पहुंचे हैं जहां फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है।
बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह (रिटायर्ड) का कहना है कि मौजूदा स्थिति में जो ऑगर मशीन फंसी थी, उसे हटा दिया गया है। क्षतिग्रस्त पाइप का 1.5 मीटर हिस्सा था। इसके हटाए जाने के बाद अब काम बहुत अच्छे तरीके से शुरू किया जा चुका है।
बचाव अभियान को लेकर अब जानकारी सामने आ रही है कि ऑगर मशीन का सारा मलबा हटा दिया गया। मैन्युअल ड्रिलिंग संभवत 3 घंटे के बाद शुरू होगी। माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा कि हमें 9 मीटर हाथ से सुरंग बनाने का काम करना है। यह जमीन पर तय होता है कि यह कितना आसान होगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल सिल्कयारा टनल बचाव स्थल पर पहुंचे।
बचाव अभियान की निगरानी के लिए सुरंग स्थल पर ड्रोन कैमरे तैनात किए गए हैं। इसके जरिए बचाव अभियान की हर तरह से निगरानी की जाएगी।
पुजारी दिनेश प्रसाद कहते हैं, "फंसे हुए मजदूरों के सुरक्षित बचाव के लिए प्रार्थना की जा रही है। आज दोपहर 2.30 बजे यहां हवन पूजा का आयोजन किया जाएगा।
फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की ड्रिलिंग चार दिनों के भीतर होने की संभावना है। यह जानकारी एनएचआईडीसीएल प्रबंध निदेशक ने दी है। निदेशक महमूद अहमद ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सिल्कयारा-बारकोट सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए आवश्यक लगभग 86 मीटर ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग चार दिनों में पूरी होने की संभावना है। अहमद ने कहा, 'अभी तक हमें किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ा है और उम्मीद है कि हमें आगे किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।'
WATCH : सुरंग के बाहर सुबह के दृश्य जहां 12 नवंबर को यहां फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए ऑपरेशन चल रहा है।