Uttarkashi Cloud Burst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से आज बड़ा हादसा हुआ है। यहां के गंगोत्री धाम और मुखवा के पास स्थित धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से एक नाला उफान पर आ गया और नाले का पानी बहुत तेजी से पहाड़ों से निचले इलाकों में बहकर आ गया इस त्रासदी के चलते कई घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्य ने बताया है कि हादसे में अब तक चार लोगों की मौत हुई है और भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। इस घटना ने 12 साल पहले केदारनाथ की त्रासदी के जख्म एक बार फिर से ताजा कर दिए हैं।
उत्तरकाशी के स्थानीय लोगों के लिए बादल फटने की ये घटना एक बड़ी त्रासदी लेकर आई है। नाले के उफान पर होने की वजह से उसका पानी अपने साथ मलबा भी लाया है, जिसके नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। पूरे क्षेत्र में बारिश का दौर जारी है, जिसकी वजह से अभी और बादल फटने का डर भी बना हुआ है। प्रशासन ने राहत बचाव का काम शुरू कर दिया, जिसमें सेना भी युद्ध स्तर पर काम में जुट गई है।
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12 साल पहले आई थी केदारनाथ में त्रासदी
उत्तरकाशी में आई जल त्रासदी ने एक बार फिर केदारनाथ की त्रासदी की याद दिला दी है। 2013 में केदारनाथ में एक खतरनाक बाढ़ और भूस्खलन हुआ था। इसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी। 16 और 17 जून को हुई इस त्रासदी में केदारनाथ मंदिर के आस-पास का इलाका तबाह हो गया था और कथित तौर पर 5000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बादल फटने और भारी बारिश के कारण चोराबड़ी झील से पानी आया जिससे मंदाकिनी नदीं में बाढ़ आ गई।
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केदारनाथ का 80 प्रतिशत हो गया था तबाह
इस त्रासदी में केदारनाथ मंदिर को छोड़कर धाम का 80 प्रतिशत हिस्सा तबाह हो गया था। कई गांव और कस्बे और कस्बे भी नष्ट हो गए थे। बाढ़ और भूस्खलन के कारण हजारों लोग बह गए थे, और कई शव बरामद नहीं हो सके थे। इस आपदा के बाद, केदारनाथ मंदिर को फिर से बनाया गया और आसपास के क्षेत्र को भी पुनर्निर्मित किया गया है। हालांकि, 2013 की यह त्रासदी केदारनाथ के इतिहास में एक काला अध्याय बन गई।
अगर केवल सरकारी आंकड़ों की ही बात कर लें तो करीब 4400 लोग इस भयानक आपदा में मारे गए थे। वहीं 991 स्थानीय लोग अलग अलग स्थानों पर मारे गए थे। इसके अलावा 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में मिले थे, जबकि इस आपदा में 11 हजार से अधिक जानवर भी मारे गए थे। 30 हजार से अधिक को बचाया गया था।
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