उत्तराखंड में हुए दो दिवसीय ज्ञान कुंभ ने भविष्य में भारतीय ज्ञान को उच्च शिक्षा से जोड़ने का रास्ता खोल दिया है। इसमें शामिल कई विद्वानों और वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान परिवर्तनकारी सिद्ध होगा। उत्तराखंड सरकार उच्च शिक्षा विभाग तथा पतंजलि योगपीठ हरिद्वार की ओर से हुए दो दिवसीय ज्ञान कुंभ के माध्यम से उत्तराखंड की उच्च शिक्षा को राज्य सरकार नई ऊंचाइयां देने जा रही है। ज्ञान कुंभ में विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, तीन सौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, पांच सौ डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यों, साढ़े तीन सौ शोध छात्रों, दो हज़ार मेधावी छात्र-छात्राओं सहित दस हजार शिक्षाविदों ने भाग लिया। इस दो दिवसीय ज्ञान कुंभ में सात तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इनमें उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार पर मंथन हुआ। साथ ही मैकाले की शिक्षा प्रणाली से देश को आजादी दिलाने का संकल्प लिया गया। उत्तराखंड में ज्ञान कुंभ एक छत के नीचे देश भर के विभिन्न विषयों के विद्वानों को एकत्र करने में सफल रहा।

ज्ञान कुंभ में आए अतिथियों राष्ट्रपति से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सभी ने ज्ञान कुंभ की जमकर तारीफ की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ज्ञान कुंभ को अपने आप में एक सार्थक पहल बताया। उन्होंने कहा कि ज्ञान कुंभ शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र को मजबूत करने में मददगार साबित होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमें अपने भारतीय ज्ञान पर गर्व होना चाहिए। ज्ञान कुंभ ने हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को फिर से स्थापित करने का मौका दिया है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि शिक्षा में भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों को अपने शिक्षाथिर्यों के सामर्थ्य को समझने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों का वातावरण ऐसा बनाएं कि विदेशों से लोग भारत में शिक्षा प्राप्त करने आएं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं के साथ-साथ स्थानीय समस्याओं पर भी शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक डॉ अतुल कोठारी ने उच्च शिक्षा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा बहुत समृद्ध है। उसे उच्च शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि ज्ञान कुंभ में गुणात्मक शिक्षा, राष्ट्र निर्माण, उच्च शिक्षा, नैतिक शिक्षा आदि विषयों पर ज्ञान मंथन किया गया है।

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि ज्ञान कुंभ का उद्देश्य शैक्षिक परिदृश्य में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता परक सुधार लाना है। ज्ञान कुंभ के माध्यम से ज्ञान की परंपरा को पुन: स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने कहा कि इस ज्ञान कुंभ के माध्यम से उत्तराखंड की उच्च शिक्षा को नई दिशा मिलेगी। साथ ही देश की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। अंग्रेजी साहित्यकार, लेखिका डॉ राधिका नागरथ का कहना है कि ज्ञान कुंभ में विभिन्न विषयों का जो सार निकल कर आया है यदि उसे उत्तराखंड सरकार का उच्च शिक्षा विभाग बड़ी गंभीरता से धरातल पर उतार दे तो उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा का देश विदेश में सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है बशर्ते इस ज्ञान कुंभ का निष्कर्ष सरकारी ढर्रे की बलि ना चढ़े।

दो दिवसीय ज्ञान कुंभ में आए सुझावों और विचार मंथन के बाद उत्तराखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य की उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार करने के लिए आठ अहम निर्णय लिए हैं- 1-उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में योग, वेद और संस्कृत विषय अनिवार्य किए जाएंगे।
2-त्तराखंड राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में जम्मू और कश्मीर के पढ़ रहे 23 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को तीन दिन का राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत प्रशिक्षण दिया जाएगा। 3-पूर्वोत्तर भारत के उत्तराखंड में अध्ययनरत 29 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं का उनके राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शिक्षा मंत्रियों के साथ एक सद्भाव मिलन कार्यक्रम उत्तराखंड में किया जाएगा। इसमें उन्हेंराज्य के इतिहास और परंपरा से रूबरू करवाया जाएगा। 4-उच्च शिक्षा के शिक्षण संस्थानों में अपनी विलक्षण प्रतिभा के धनी शिक्षकों को हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन राज्य सरकार की ओर से सम्मानित किया जाएगा।

5-भारतीय ज्ञान परंपरा को उत्तराखंड के उच्च शिक्षाण संस्थानों में विषय के रूप में सम्मिलित करने के लिए पतंजलि योगपीठ में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। 6-उत्तराखंड राज्य के सौ गरीब तथा दिव्यांग बच्चों को पतंजलि योगपीठ के माध्यम से निशुल्क रूप से शोध कार्य करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। 7-उत्तराखंड में देश विदेश के विश्वविद्यालयों के अपने-अपने विषय में विशेषज्ञता प्राप्त प्रोफेसर राज्य के विभिन्न कॉलेजों में अतिथि प्रोफेसरों के रूप में पढ़ाने के लिए बुलाए जाएंगे और उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर देश विदेश के अन्य कॉलेजों में पढ़ाने के लिए भेजे जाएंगे। 8-लुप्त हो रही गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।