उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अचानक आई बाढ़ के बाद बचाव और राहत अभियान तीसरे दिन भी जारी रहा। बाढ़ से तबाह हुए धराली गांव में उन्नत और आधुनिक उपकरण पहुंचाने के प्रयास गुरुवार को तेज कर दिए गए ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश जल्द से जल्द की जा सके। हालांकि, भूस्खलन और सड़कों को हुए नुकसान के कारण गुरुवार को भी यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से कटा रहा। सड़कों के टूटने और अवरुद्ध होने के कारण जिले में विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकाले जाने के काम पर असर पड़ रहा है।
हर्षिल और नेलोंग में सैन्य हेलीपैड चालू हैं और सड़क मार्ग से गंगोत्री से जुड़े हुए हैं, जिससे अधिकारी गंगोत्री धाम से पर्यटकों को हवाई मार्ग से ले जा पा रहे हैं। सेना ने बताया कि इंजीनियरों, चिकित्सा दलों और बचाव विशेषज्ञों सहित 225 सैनिक ज़मीन पर मौजूद हैं। गुरुवार को एक चिनूक हेलीकॉप्टर एनडीआरएफ के कर्मियों, उपकरणों और अन्य आवश्यक आपूर्ति के साथ हर्षिल में उतरा। गुरुवार सुबह तक 61 लोगों को हेलिकॉप्टर से मतली स्थित आईटीबीपी अस्पताल पहुंचाया जा चुका है। साथ ही यह भी व्यवस्था की जा रही है कि बचाए गए व्यक्तियों को उनके गंतव्यों तक भेजा जाए।
Uttarkashi Flood: सेना का एक जेसीओ और आठ जवान अभी भी लापता
सहस्त्रधारा से 5 नागरिक हेलीकॉप्टर मटली-भटवारी-हर्षिल मार्ग पर बचाव कार्यों के लिए तैनात हैं। गंगोत्री में फंसे लगभग 180-200 पर्यटकों को भारतीय सेना और आईटीबीपी द्वारा भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। जानकारी के मुताबिक, 50 से ज़्यादा लोगों के लापता होने का अनुमान है। सेना का एक जेसीओ और आठ जवान अभी भी लापता हैं जबकि नौ सैन्यकर्मियों और तीन नागरिकों को हेलीकॉप्टर से देहरादून पहुंचाया गया है। गंभीर रूप से घायल तीन नागरिकों को एम्बुलेंस से एम्स ऋषिकेश ले जाया गया है, और आठ नागरिकों को उत्तरकाशी के ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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चिनूक विमानों का उपयोग कर चिकित्सा सुविधाएं हर्षिल तक पहुंचाने की तैयारी में सेना
सेना ने कहा कि अगले 24-48 घंटों में उन्होंने चिनूक विमानों का उपयोग करके सैनिकों और चिकित्सा दलों को हर्षिल तक पहुंचाने की योजना बनाई है और वापसी में पर्यटकों को नेलोंग हेलीपैड से निकाला जाएगा। लगभग 300 तीर्थयात्री और 100 स्थानीय व्यापारी इस समय गंगोत्री में हैं। हर्षिल स्थित आर्मी गेट से भी कुल 35 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से चार बचावकर्मियों को हवाई मार्ग से हर्षिल पहुंचाया गया है।
सेना के एक बयान में कहा गया है कि रेको रडार टीमें, सर्च डॉग और सहस्त्रधारा से संचालित पांच नागरिक हेलीकॉप्टर प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं। सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण बचाव कार्यों में देरी होने के कारण मरम्मत का काम जारी है। सुबह 10 बजे तक, हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज में जलस्तर 293.15 मीटर था, जो खतरे के निशान 294 से थोड़ा कम है। गुरुवार सुबह तक 61 लोगों को हेलीकॉप्टर से मतली स्थित आईटीबीपी अस्पताल पहुंचाया जा चुका है।
हवाई मार्ग के जरिए बचाव उपकरणों को हर्षिल पहुंचाने की तैयारी में SDRF
राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) के महानिरीक्षक अरूण मोहन जोशी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही हमारी टीम बुधवार को सड़कों के अवरूद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं।’’ उन्होंने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचा मलबे का ढेर है और आपदा में लापता लोग उसके नीचे फंसे हो सकते हैं। जोशी ने बताया कि उन्नत उपकरण विशाल मलबे में लापता लोगों की तलाश करने में बचाव कर्मियों की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी प्राथमिकता अवरूद्ध मार्गों के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकालना है।अरूण जोशी ने बताया कि उनकी संख्या 300-400 हो सकती है। पढ़ें- आखिर क्यों उत्तराखंड में बढ़ती जा रहीं बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं?