चंपावत के स्कूल में उस दलित महिला रसोइया को फिर से नियुक्त किया गया है, जिसे कुछ दिन पहले तब पद से हटा दिया गया था, जब अगड़ी जाति के कुछ छात्रों ने उसका बनाया दोपहर का भोजन करने से इनकार कर दिया था। पुलिस ने 31 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से छह को नामजद किया गया है। इन व्यक्तियों के खिलाफ मामला धमकी देने और जातिवादी टिप्पणी करने के लिए दर्ज किया गया है।

चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को स्कूल की प्रबंधन समिति की बैठक हुई, जिसने महिला को दोबारा नियुक्त किया। उन्होंने कहा कि महिला को फिर से नियुक्त करने का निर्णय एक सरकारी आदेश के आधार पर लिया गया। इसमें कहा गया था कि अगर ऐसे मामलों में आम सहमति नहीं बनती है तो एससी\एसटी एक्ट या ओबीसी समुदायों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक में 26 में से 21 सदस्य मौजूद थे। लेकिन सभी का विचार एक जैसा नहीं था। आम सहमति नहीं बन पायी, इसलिए सरकार के आदेश के आधार पर निर्णय लिया गया। सुनीता देवी को पद से हटाये जाने के बाद पुरोहित ने पहले कहा था कि उनकी नियुक्ति में प्रक्रियागत खामियां थीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

पुलिस ने सुनीता देवी की शिकायत के आधार पर 31 व्यक्तियों के खिलाफ एससी\एसटी एक्ट और आईआपीसी की धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया है। चंपावत के एसपी ने कहा कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें से छह की पहचान महेश चौराकोटी, दीपा जोशी, बबलू गहटोरी, सतीश चंद्र, नागेंद्र जोशी और शंकर दत्त के रूप में हुई है। जबकि 25 अन्य अज्ञात व्यक्ति हैं।

गौरतलब है कि यह मुद्दा विवादों में घिर गया था और राज्य सरकार ने पहले इसकी जांच के आदेश दिए थे। उत्तराखंड एससी\एसटी एक्ट ने भी उसके लिए न्याय की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी थी।