हरीश रावत कभी आलाकमान के बेहद भरोसेमंद थे। उनके कहने पर ही सोनिया गांधी ने अमरिंदर सिंह की छुट्टी कर दी थी। तब वो पंजाब के प्रभारी थे और उनकी रिपोर्ट पर ही आलाकमान ने कैप्टन को हटाने की रणीति तैयार की। लेकिन फिलहाल उनको अपने सूबे से ही हटा दिया गया है। कांग्रेस ने उत्तराखंड के नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी करन माहरा को दी है जबकि सीएलपी लीडर का जिम्मा यशपाल आर्य को दिया है। हरीश रावत को सूबे की राजनीति से अलग कर दिया गया है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के जो नतीजे आए हैं उसका कांग्रेस को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। कांग्रेस मात्र 19 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत ने तो हरीश रावत पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप भी लगाया। हालांकि रावत ने कहा था कि यदि उन पर यह आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए।

कुछ इसी अंदाज में आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को भी ठिकाने लगाया। न तो पंजाब में उन्हें पार्टी की कमान मिली और न ही सीएलपी लीडर का पद। उनके समर्थक भी बौखलाए हुए हैं। नए पीपीसीसी प्रधान राजा अमरिंदर सिंह वडिंग को वो नौसिखिया और भ्रष्ट तक कहने से बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन लगता नहीं है कि इसका कोई असर पड़ रहा है। पांचों सूबों को बुरी तरह से गंवाने के बाद गांधी परिवार सख्त दिख रहा है। उन्हें पता है कि अब उनके ही भविष्य पर सवाल खड़ा हो रहा है। अगर नहीं चेते तो कांग्रेस हाथ से निकल जाएगी।

पार्टी के उद्धार के लिए सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर आयोजित करने की तैयारी शुरू कर दी है। पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद ये शिविर होगा। कांग्रेस के शीर्ष नेता जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और नयी चुनौतियों से निपटने पर इसमें विचार-विमर्श करेंगे। कांग्रेस ने मंगलवार को अपने महासचिवों और प्रभारियों की बैठक बुलाई है। इसमें सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा होगी। शिविर राजस्थान में होने की संभावना है।

गौरतलब है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व को संगठन में भारी बदलाव की मांग का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान चिंतन शिविर करने का निर्णय लिया गया था। शिविर में चुनावी हार से सीख लेते हुए भविष्य की योजना बनाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। मौजूदा समय में कांग्रेस की केवल दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़- में ही सरकारें हैं जबकि महाराष्ट्र तथा झारखंड में वह सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी दल है।