उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसको लेकर संस्था ने एक याचिका दाखिल की है, जिस पर सोमवार यानी 22 जुलाई को सुनवाई होगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी मामले की सुनवाई
22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एवीएन भट्टी की पीठ यूपी सरकार के फैसले पर सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई बड़ा फैसला सुना सकता है। एनजीओ ने योगी सरकार के नेम प्लेट वाले आदेश को रद्द करने की मांग की है।
बता दें कि विपक्ष बड़े जोर शोर के साथ मुद्दे को उठा रहा है। रविवार को संसद में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया। कांग्रेस पार्टी के गौरव गोगोई और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने मजबूती से इस मुद्दे को उठाया और फैसले को वापस लेने की मांग की।
‘दिल्ली के LG और BJP के खिलाफ दर्ज कराएंगे हत्या का मामला’, AAP सांसद संजय सिंह ने बताई यह वजह
बीजेपी के सहयोगी भी उठा रहे सवाल
सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी के सहयोगी दल भी इस फैसले से खफा दिख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। जयंत चौधरी ने यहां तक कह दिया कि धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती। उन्होंने कहा की दुकानों पर नाम लिख रहे हैं तो क्या बर्गर किंग और मैकडॉनल्ड वाले भी लिखेंगे?
वहीं एनसीपी (अजीत पवार) गुट के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी मीडिया से बात करते हुए सरकार द्वारा लिए गए फैसले को वापस लेने की मांग की है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने भी योगी सरकार के फैसले का विरोध किया है। वहीं चिराग पासवान ने भी यूपी सरकार से फैसले को वापस लेने की अपील की है। चिराग पासवान ने भी धर्म को राजनीति से न जोड़ने की अपील की है। यानी यूपी सरकार अपने फैसले पर चौतरफा घिर रही है।