किसान पिछले 8 महीनों से भी ज्यादा समय से अपनी मांगों के साथ दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ उनका गुस्सा आंदोलन के बढ़ते समय के साथ बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के किसानों में भी ऐसी ही नाराजगी देखने को मिल रही है। न्यूज 24 के कार्यक्रम ‘माहौल क्या है’ में पत्रकार ने जब गाजियाबाद के किसानों से उनकी राय जाननी चाही तो उनका दर्द सामने आ गया। एक किसान ने बताया कि पहले मैं बीजेपी में था लेकिन अब यू-टर्न मारकर वापस आ गया हूं।

योगी सरकार पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए किसानों ने कहा कि पिछले चार साल से सरकार ने गन्ने पर एक रुपया नहीं बढ़ाया है, इस दौरान सरकार ने बिजली के दाम तीन गुने बढ़ा दिए, गैस सिलेण्डर के दाम दो गुने हो गए, खाद्य के लिए हम दर दर भटकते हैं। एक बार अंगूठा लगाते हैं तो कई बार का खाद्य एक साथ मिलता है। उन्होंने कहा किसान इन दिनों परेशान चल रहा है।

वहीं एक अन्य किसान ने कहा कि जब भी हम उन पर सवाल उठाते हैं तो वह बताते हैं कि कांग्रेस राज में कैसा होता था। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते तो बीजेपी सत्ता में क्यों आती। वहीं कुछ किसानों ने सरकार पर अपना भरोसा भी जताया। एक किसान ने कहा कि अगर कानून में खामियां हैं तो उसे रद्द होना चाहिए लेकिन जब विरोध करने वालों से सवाल करो तो उनके पास कुछ जवाब नहीं होता है। उन्होंने कहा किसानों का हित देश में सर्वोपरि है लेकिन अगर इसमें खामियां है तो रद्द करना चाहिए।

एक किसान ने यह भी कहा कि जिस तरह से विरोध प्रदर्शन के लिए लोग सड़कों को बंद करके बैठे हैं, इसमें देश का अहित है। भारी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे का हल बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है। किसान ने यह भी कहा कि इसकी आड़ में कुछ राजनीतिक दल वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने माना कि सरकार को गन्ना के दामों को बढ़ाना चाहिए।

सरकार से नाराज किसानों ने बताया कि साल 2014 तक धान 4400 से 4500 प्रति क्विंटल में बेचा गया। 2015 में पीएम मोदी के आने के बाद धान 1800 रुपये के दाम में बिका। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में धान 5000 से 5500 रुपये तक के दामों में बिका।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसान इन दिनों जंतर मंतर पर किसान संसद भी चला रहे हैं। शुक्रवार को विपक्षी नेताओं का एक दल उनसे मुलाकात करने भी पहुंचा था। जंतर मंतर पर यह किसान हर रोज सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक किसानों की संसद लगाते हैं। यह किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।