UP Home Guards: उत्तर प्रदेश सरकार 25 हजार होमगार्ड जवानों हटा रही है। सरकार की दलील है कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित नये भत्तों का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, हालांकि सोमवार को प्रदेश सरकार के विभागीय मंत्री ने कहा कि किसी भी होमगार्ड को हटाया नहीं जाएगा। मीडिया में खबर आने के बाद देर शाम सरकार ने इस मुद्दे पर अपने रुख में बदलाव किया और प्रदेश के होमगार्ड विभाग के मंत्री चेतन चौहान ने ने कहा कि किसी भी होमगार्ड को हटाया नहीं जाएगा, इस संबंध में उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत की हैं।
क्या बोले योगी के मंत्री: होम गार्ड मिनिस्टर चेतन चौहान ने कहा, ”पुलिस विभाग अगर 25 हजार होमगार्डों को हटा रहा है तो होमगार्ड विभाग उन्हें कहीं न कहीं लगा देगा, हो सकता उनके काम के दिन कम हो जायें। हमने पुलिस विभाग से भी कहा है कि आप भले ही इनके काम के दिन कम कर दें लेकिन इन्हें रखे रहें, इन्हें निकाले नहीं। मान लीजिये पहले होमगार्ड को 20-25 दिन काम मिलता था अब 15 से 20 दिन काम दे दें। किसी को भी हटाया नही जाएगा, इसके लिये मैने पुलिस विभाग के साथ-साथ अपने विभाग से भी कह दिया है।” इससे पहले मीडिया में खबरें आने के बाद सरकार ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह समस्या के निदान का रास्ता तलाशने का प्रयास कर रही है और सुनिश्चित करेगी कि हर घर में दीपावली मनायी जाए।
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क्या है मामला: बता दें कि होमगार्ड का दैनिक भत्ता अब बढ़कर 672 रुपये हो गया है जो शीर्ष अदालत के जुलाई के आदेश से पहले पांच सौ रूपये था। सरकार ने कहा कि इससे राजकोष पर हर महीने दस से 12 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। ऐसे में तय किया गया कि होमगार्ड की तैनाती थानों और ट्रैफिक सिग्नलों पर ना की जाये। होमगार्ड स्थायी कर्मचारी नहीं होते। उनकी भर्ती अस्थायी आधार पर की जाती है। अपर महानिदेशक बीपी जोगदंड की ओर से जारी आदेश के अनुसार 25 हजार होमगार्ड तैनात नहीं करने का फैसला इस साल 28 अगस्त को किया गया था। यह फैसला उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया था। होमगार्ड की तैनाती तीन अप्रैल के सरकारी आदेश के जरिए की गयी थी।
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डीजीपी का बयान: दरअसल, होमगार्ड का कोई सुनिश्चित मासिक वेतन नहीं होता है। उन्हें डयूटी के दिनों के आधार पर भुगतान किया जाता है। अब तक उनसे 25 दिन कार्य करने की उम्मीद की जाती थी लेकिन सरकार ने उसे घटाकर 15 दिन कर दिया था। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस विभाग पर पड़ रहे अतिरिक्त वित्तीय बोझ के कारण उक्त कदम उठाया गया।
मुख्य सचिव ने कही यह बात: डीजीपी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस विभाग को हर महीने दस से 12 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता। तैनाती नहीं देने का फैसला अस्थायी है और आवश्यकता पड़ने पर होमगार्ड को डयूटी के लिए बुलाया जाएगा। प्रदेश के मुख्य सचिव आर के तिवारी ने अयोध्या में संवाददाताओं की ओर से पूछे गये सवाल पर कहा, ”दीवाली सबके घर होगी। इसपे हम विचार कर रहे हैं कि कैसे इस समस्या का समाधान हो।”
