बीते शुक्रवार को शाम ढलने के बाद मोहम्मद शरीफ ने देखा कि उनके तीस वर्षीय बेटे मोहम्मद रईस के पेट से खून बह रहा था, वो उसे सब्जी के ठेले पर कानपुर के बेगमपुरा इलाके में स्थित अपने घर ले आए। 58 वर्षीय रईस की मां किस्मतुन खातून ने सोमवार (23 दिसंबर, 2019) को बताया, ‘पूरी रात उसके शरीर से खून बहता रहा। हमने उसके पेट में चारों तरफ एक कमीज बांध दी। वह पूरी रात हमें बताता रहा कि उसे पुलिस ने गोली मार है। उसके पेट में गोली मारी गई।’ उन्होंने कहा कि हम अगली सुबह ही उसे एक निजी वाहन में हॉस्पिटल ले जा सके। इसी बीच मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले रईस के 61 वर्षीय कहते हैं, ‘हम दहशत में थे।’
शरीफ ने आगे बताया, ‘लोगों ने हमसे कहा कि अगर हम अपने बेटे को हॉस्पिटल लेकर गए तो पुलिस हिंसा के मामले में परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लेगी।’ रईस के बहनोई कहते हैं, ‘उसे अगर शुक्रवार रात को हॉस्पिटल ले जाया जाता तो वो बच सकता था।’ बता दें कि सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में गोली लगने से घायल हुए रईस को बचाया नहीं जा सका।
रईस के परिवार के मुताबिक वो शुक्रवार को दोपहर नमाज पढ़ने ईदगाह मस्जिद में गया, जो कानपुर में नए नागरिकता कानून के विरोध का केंद्र बन गया था। रईस ऐसा तीसरा व्यक्ति है जिसने ईदगाह मस्जिद पर विरोध प्रदर्शन में लगी चोटों के चलते दम तोड़ दिया।
रईस के पिता कहते हैं, ‘चूंकि मैं वहां नहीं था। मुझे नहीं पता वहां क्या हुआ। मगर मेरे बेटे ने मुझे बताया कि उसे पुलिस की गोली लगी, जिसके चलते उसकी मौत हो गई। हमें बताया गया कि उसे रबर की गोली लगी है। हमें नहीं पता था कि उसे वास्तविक गोली लगी थी। शनिवार को हम उसे हॉस्पिटल ले गए और रविवार को उसने दम तोड़ दिया। हम पुलिस से लड़ नहीं सकते। अब हमने अपना बेटा खो दिया और हम कुछ नहीं कर सकते।’
शरीफ आगे कहते हैं, ‘मेरे दूसरे बेटे मेरे साथ नहीं रहते। वो परिवार का इकलौता बेटा था जो अपने मां-बाप का ख्याल रखता था। हर महीने की कमाई हमें देता था।’ शरीफ के परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
इसी बीच पुलिस ने कहा कि रईस की मौत इसलिए हुई क्योंकि उसे हेपेटाइटिस बी था। डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि की। डॉक्टरों ने कहा कि अगर उसे ये बीमारी नहीं होती तो वह बच सकता है। हालांकि बाबूपुरवा पुलिस स्टेशन के एसएचओ अमित तोमर ने कहा कि अभी हमें पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
दूसरी तरफ रईस के परिवार ने ऐसी किसी जानकारी से इनकार किया है कि उनके बेटे को हेपेटाइटिस बी जैसी कोई बीमारी थी। शरीफ कहते हैं, ‘मुझे इसके बारे में नहीं पता। जहां तक मुझे पता है कि उसे कोई बीमारी नहीं थी।’
जानना चाहिए कि ईदगाह प्रदर्शन के दौरान वहां आसपास मौजूद कई गाड़ियों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया। इलाके की कुछ महिलाओं ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की।