अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कपास से 11% इम्पोर्ट ड्यूटी हटाने के फैसले का स्वागत किया है। यूएसडीए ने एक बयान में कहा कि ड्यूटी फ्री इम्पोर्ट से अमेरिकी कपास की बुकिंग में इजाफा होने की उम्मीद है।
बयान में यह भी कहा गया कि इससे भारत के वस्त्र और परिधान उद्योग को भी राहत मिलेगी, जो अमेरिका में हाई टैरिफ और घरेलू फाइबर की बढ़ती लागत से जूझ रहा है।
वित्त मंत्रालय ने 18 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर कपास इम्पोर्ट पर 11% टैरिफ को खत्म कर दिया था। इसमें जिसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी, 5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस तथा दोनों पर 1% सरचार्ज शामिल था।
19 अगस्त से 30 सितम्बर तक है छूट
कपास की इम्पोर्ट ड्यूटी 19 अगस्त से 30 सितम्बर तक के लिए हटाई गई है। यह छूट अस्थायी है, इसका मकसद 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले भारत के नए कपास मार्केटिंग साल के साथ मेल करना है।
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लेकिन USDA के बयान में कहा गया कि यह कदम भारतीय कपड़ा एक्सपोर्टर्स को सस्ता और बेहतर गुणवत्ता वाला कच्चा माल पाने में मदद करेगा। बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को अमेरिका में बहुत कम टैरिफ दरों का लाभ मिलता है, जिससे भारतीय एक्सपोर्टर कमजोर स्थिति में आ जाते हैं।
भारत को कितना कपास बेचता है अमेरिका?
भारत ने साल 2020 में 147.13 मिलियन डॉलर का अमेरिका कपास इम्पोर्ट किया था। यह साल 2021 में बढ़कर 211.32 मिलियन डॉलर और 2022 में 491.20 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। लेकिन अगले दो सालों में यह घटकर क्रमशः 223.69 मिलियन डॉलर और 209 मिलियन डॉलर रह गया। हालांकि, 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी-जून) में एक्सपोर्ट 109% बढ़कर 181.46 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि 2024 की इसी अवधि में यह 86.89 मिलियन डॉलर था।
USDA के अनुसार, भारत भेजे जाने वाले लगभग 95% अमेरिकी कपास को प्रोसेस कर वस्त्र और परिधान के रूप में दोबारा एक्सपोर्ट किया जाता है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है, जहां भारत लगभग 6 अरब डॉलर के कपास आधारित वस्त्र और परिधान एक्सपोर्ट करता है।
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