Namaste Donald Trump Event: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिनों की यात्रा पर आज दोपहर भारत आ रहे हैं। वे सबसे पहले अहमदाबाद आएंगे और उसके बाद यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद अपनी पत्नी मेलानिया संग ताजमहल का दीदार करने आगरा जाएंगे। कहा जा रहा है कि अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के तहत करीब 70 लाख लोग उनका स्वागत करेंगे। ये लोग ट्रंप के रोड शो से लेकर मोटेरा स्टेडियम में प्रस्तावित कार्यक्रम के दौरान ट्रंप का अभिवादन करेंगे। लेकिन 5000 लोगों के एक समुदाय ने फैसला किया है कि वे ट्रंप के स्वागत के लिए एयरपोर्ट के मोटेरा स्टेडियम जाने वाली सड़क के किनारे खड़े नहीं होंगे। इसकी वजह उन्होंने झुग्गी बस्ती के किनारे बनाई गई दीवार को बताया है।

टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार अहमदाबाद के इंदिरा ब्रिज सरंगा व्यास में झुग्गी बस्ती में रहने वाली काशी बेन ने कहा, “जब मोदी ने हमें छिपाने के लिए दीवार बनाई है, तो हम उन्हें और उनके खास मेहमान को देखने क्यों जाएं? यदि वे चाहते थे कि हम उनके मेगा इवेंट का हिस्सा बनें तो उन्हें कभी इस दीवार का निर्माण नहीं करना चाहिए था।”

बेन ने छह फीट ऊंची ईंट की दीवार की ओर इशारा किया, जो पिछले कुछ दिनों में कॉलोनी और मुख्य सड़क के बीच बनी है। इस दीवार के एक तरफ झुग्गियां है, जहां करीब 500 घरों में करीब 2500 लोग रहते हैं तो दूसरी ओर चमचमाती सड़क। दीवार से सटाकर सड़क की और कई पेड़ और फूल के पौधे लगाए गए हैं ताकि उस सड़क की खूबसूरती बढ़ जाए। दीवारों पर नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती को दिखाते हुए पेंटिंग भी की गई है।

इसी झुग्गी में रहने वाले बंजारा समुदाय के एक बुजुर्ग व्यक्ति कहते हैं, “हम पिछले 60 वर्षों से यहां रह रहे हैं। उस समय जंगल के अलावा यहां कुछ भी नहीं था। कई सम्मानित लोग आए और इस सड़क से गुजरे लेकिन यह पहली बार है जब हमें इस तरह से छिपाने के लिए दीवार बनी है। क्या मोदी को हम पर शर्म आती है? हमें छुपाने के बजाय वह हमारे रहन-सहन को बेहतर क्यों नहीं बनाते? क्या हम गुजरात का हिस्सा नहीं हैं?”

पिछले छह वर्षों में कई सारे अंतरराष्ट्रीय मेहमान गुजरात आए हैं और इसी कॉलनी से सटी सड़क (वीवीआईपी मार्ग) से वे गुजरे। लेकिन इस बार कॉलोनी को स्थायी रूप से छिपाने के लिए एक अंतिम समाधान लागू किया गया है। काशी बेन कहती हैं, “दीवार बनाने के लिए करीब 15 से 20 छोटी-छोटी झुग्गियों को नष्ट कर दिया गया। हमें पूछे बिना सभी रातोंरात नष्ट हो गए और वहां रहने वाले परिवारों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया और अब वे बेघर हैं।” काशी बेन की बेटी की झुग्गी भी गिरा दी गई।

काशी कहती हैं, “यह बहुत ही ज्यादा शर्मनाक है। मोदी हमें जानवर की तरह समझते हैं। यहां पानी के लिए सिर्फ पांच नल लगे हैं और पानी इतनी कम आती है कि एक बाल्टी भरने में 10 मिनट लग जाते हैं। सभी को पीने तक के लिए पानी नहीं मिल पाता है, कपड़े धोने के लिए पानी की बात करना ही बेइमानी है। कभी-कभी पानी को लेकर लोग आपस में झगड़ भी जाते हैं। नली और गटर भी नहीं है। बारिश होते ही हर जगह पानी जमा हो जाता है।”