UPPSC Student Protest In Prayagraj: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस प्री और आरओ एआरओ की परीक्षा दो दिन कराने के फैसले के विरोध में छात्रों का आंदोलन जारी है। इस मामले पर सियासत भी जमकर हो रही है। उत्तर प्रदेश की सरकार पर विपक्षी दल जमकर हमला बोल रहे हैं। अब ऐसे में सभी के मन में एक सवाल यह आ रहा होगा कि आखिरकार यह छात्र यूपी लोक सेवा आयोग का घेराव क्यों कर रहे हैं और उनकी मांगें क्या हैं।
कहां से शुरू हुआ पूरा मामला
अब इस पूरे मामले की बात करें तो 1 जनवरी 2024 को UPPSC ने प्री परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके हिसाब से 17 मार्च 2024 को पेपर होने वाला था। हालांकि, यह स्थगित हो गया। इसके अलावा यूपीएससी की समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी का एग्जाम 11 फरवरी को होना था। इस पेपर के लीक होने के चलते इसको भी टाल दिया गया था। छात्रों के भारी विरोध के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 6 महीने में दोबारा से पेपर होगा।
इस एग्जाम का इंतजार कर रहे छात्र सीएम योगी के भरोसे के बाद पूरी तरह से आश्वस्त थे कि 6 महीने के अंदर दोबारा से पेपर होगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और पुलिस जांच में जुटी रही। इतना ही नहीं कई आरोपियों को अरेस्ट भी किया गया था। इसके कुछ दिनों के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था कि अक्टूबर में परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसके बावजूद परीक्षा को दिसंबर महीने के लिए टाल दिया गया।
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पेपर का पूरा शेड्यूल क्या है?
अब पेपर के शेड्यूल पर नजर डालें तो आयोग की तरफ से जारी कार्यक्रम के मुताबिक, दोनों एग्जाम दिसंबर के महीने में होने वाले हैं। यह एक से ज्यादा शिफ्टों में होने वाले हैं। इतना ही नहीं आयोग ने इस बार अपने नोटिफिकेशन में कहा कि इन पेपर्स में नॉर्मलाइजेशन को लागू किया जाएगा। यूपीपीएससी पीसीएस प्री का पेपर 7 और 8 दिसंबर को होगा। वहीं आरओ-एआरओ का पेपर 22 और 23 दिसंबर को होगा।
छात्रों की मांगें क्या हैं?
छात्रों की मांगों की बात करें तो उनका तर्क है कि एग्जाम को दो दिन और एक से ज्यादा शिफ्ट में आयोजित नहीं किया जाए। साथ ही वह नहीं चाहते हैं कि पेपर में नॉर्मलाइजेशन लागू हो। नॉर्मलाइजेशन की वजह के नतीजे अच्छे छात्रों को भुगतने होंगे। सोमवार को भी मामले में जमकर प्रदर्शन हुआ था। इससे संबंधित खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
नॉर्मलाइजेशन का क्यों कर रहे विरोध
नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूले को हम एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करेंगे। ऐसा मान लीजिए कि दो पालियां क और ख हैं। क शिफ्ट का पेपर थोड़ा सरल आ जाता है और ख शिफ्ट का मुश्किल। शिफ्ट क में औसतन अभ्यर्थियों को 150 में से 120 नंबर मिले हैं। वहीं शिफ्ट ख में औसतन अभ्यर्थियों को 150 में से 100 ही नंबर मिले हैं। अब यहां पर नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत ख शिफ्ट के अभ्यर्थियों के नंबरों को बढ़ा दिया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि दोनों शिफ्टों के नंबरों को एक समान पैमाने पर लाया जा सके। नॉर्मलाइजेशन हो जाने के बाद में सभी अभ्यर्थियों के नंबर एक नए पैमाने में बदल जाते हैं।
मामले पर सियासत जारी
इस मामले पर सियासत भी जारी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ की सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में एक साथ चुनाव तो करवा सकते हैं लेकिन एक प्रदेश में एक साथ परीक्षा नहीं। बीजेपी के ढोंग का भंडाफोड़ हो गया है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘योगी बनाम प्रतियोगी छात्र हुआ माहौल। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर जो बात है वो है कि नौकरी बीजेपी के एजेंडे में है ही नहीं।’
अखिलेश यादव ने आगे कहा, ‘ बीजेपी के लोग, जनता को रोजी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। बीजेपी ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो ह्वाट्सऐप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है।’
मायावती ने क्या कहा
बहुजन समाज पार्टी की चीफ और उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती ने भी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस तथा आरओ-एआरओ की भी प्रारंभिक परीक्षा-2024 एक समय में कराने में विफलता को लेकर आक्रोशित छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से उत्पन्न स्थिति की खबर का व्यापक चर्चा में रहना स्वाभाविक।’
मायावती ने कहा, ‘क्या यूपी के पास एक समय में परीक्षा कराने की बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव है कि पीसीएस आदि जैसी विशिष्ट परीक्षा दो दिन में करानी पड़ रही है। पेपर लीक पर रोक व परीक्षाओं की विश्वसनीयता अहम मुद्दा, जिसके लिए एक बार में ही परीक्षा व्यवस्था जरूरी। सरकार इस ओर ध्यान दे। साथ ही, गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि की जबरदस्त मार झेल रहे छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं बल्कि सहयोग एवं सहानुभूति का होना चाहिए। इसको लेकर सरकार खाली पड़े सभी बैकलाग पर जितनी जल्दी भर्ती की प्रक्रिया पूरी करे उतना बेहतर। लोगों को रोजी-रोजगार की सख्त जरूरत।’