उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में छात्र उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों की संख्या में छात्र आयोग के गेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अभ्यर्थी की मांग है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली स्टेट पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा में लागू होने वाले ‘नॉर्मलाइजेशन (सामान्यीकरण)’ को समाप्त कर दिया जाए। इसके साथ ही कई शिफ्टों में आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं को एक ही शिफ्ट में कराने की मांग कर रहे हैं।

आयोग ने निर्धारित की है परीक्षा डेट

यूपी लोकसेवा आयोग ने स्टेट पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 और आरओ / एआरओ प्रारंभिक परीक्षा की तारीखों का ऐलान पहले ही कर दिया था। आयोग ने 7 और 8 दिसंबर को दो पालियों में पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा कराने की तैयारी की है। इसके लिए पहली शिफ्ट में सुबह 9.30 से 11.30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट में 2.30 से 4.30 बजे तक निर्धारित किया गया है।

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इसके साथ ही आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होनी है। आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद से ही छात्रों द्वारा दो से ज्यादा शिफ्टों में आयोजित होने वाली इस परीक्षा का विरोध कर रहे थे। लेकिन बीते सोमवार से ये विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। आइए जानते हैं कि नॉर्मलाइजेशन क्या होता है? जिसको लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं।

जानें क्या है नॉर्मलाइजेशन

अभ्यर्थियों की मांग है कि आयोग दोनों की प्रारंभिक परीक्षाओं में लागू होने वाले नॉर्मलाइजेशन को पूरी तरह से समाप्त करे। जानकारी के अनुसार जब एक से अधिक पालियों में परीक्षा आयोजित होती है तो ऐसी स्थिति में परीक्षा कराने वाली संस्था की ओर से नॉर्मलाइजेशन कराकर सभी अभ्यर्थियों के अंकों को सामान्य किया जाता है। चूंकि कई बार ऐसा होता है कि पहली पाली में प्रश्न पत्र सामान्य आ जाते हैं। ऐसे में पहली पाली की परीक्षा में बैठे छात्र ज्यादा प्रश्न हल करते हैं। जबकि अगली पाली में कई बार कठिन प्रश्न पत्र आ जाते हैं। ऐसे में अभ्यर्थी ज्यादा प्रश्न नहीं कर पाते। इसके साथ ही जितने पाली में परीक्षा आयोजित होती है उन सभी पालियों के आधार पर नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।

‘एक दिन, एक शिफ्ट’ का विरोध क्यों कर रहे छात्र? UPPSC छात्रों के गुस्से की क्या है वजह

नॉर्मलाइजेशन को इस तरह से समझा जा सकता है कि 7 और 8 दिसंबर को परीक्षा होनी है। 7 तारीख को परीक्षा देने अभ्यर्थियों का औसत नंबर 150 में से 110 आया। जबकि 8 दिसंबर को हुए परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों का औसत नंबर 100 ही रह गया। ऐसे में आयोग प्रश्न पत्र के कठिन और सामान्य का निर्धारण अभ्यर्थियों के औसत नंबर के आधार पर करता है। और दोनों दिनों की परीक्षा के आधार पर सभी छात्रों का नंबर नॉर्मलाइज करके 105 के आसपास कर दिया जाता है। ऐसे में जहां दूसरे दिन की परीक्षा दिए अभ्यर्थियों का कुछ नंबर बढ़ जाता है। जबकि पहले दिन परीक्षा दिए अभ्यर्थियों का नंबर घट जाता है। जिसको लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं।

इन परीक्षाओं में भी लागू है नॉर्मलाइजेशन

एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा कराने वाली संस्था अभ्यर्थियों का नंबर औसत करने के लिए नॉर्मलाइजेशन करती है। यूपी लोक सेवा आयोग से पहले कर्मचारी चयन आयोग (SSC), पुलिस भर्ती परीक्षा, रेलवे भर्ती बोर्ड, एनटीए समेत कई परीक्षाओं को एक से ज्यादा पालियों में कराया जाता है। जिसके बाद उनके अंकों को नॉर्मलाइजेशन किया जाता है। हालांकि यूपी लोक सेवा आयोग नॉर्मलाइजेशन को लेकर क्या नियम अपनाए गा ये अभी तय नहीं है। लेकिन सामान्य तौर पर इन्हीं नियमों को अपनाया जा सकता है।