UP Madarsa survey: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के गैर मान्यता प्राप्त सभी मदरसों का सर्वे करने का आदेश दिया है। इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। सर्वे को लेकर जहां यूपी सरकार का कहना है कि इसका मकसद मुस्लिम बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाना है तो वहीं विपक्ष इसे भाजपा का एजेंडा बता रहा है।

वहीं सरकार के इस फैसले पर यूपी के इटावा में एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए मदरसा संचालक मौलाना तारिक शम्सी ने कहा कि सर्वे होना अच्छी चीज है, होना चाहिए लेकिन जिन मदरसों का डेटा सरकार के पास पहले से है, उनके लिए सरकार ने आजतक क्या किया? शम्सी ने कहा, “यूपी में साढे़ 16 हजार मदरसों के 24 हजार अध्यापक पिछले 55 महीने से अपनी सैलरी से वंचित हैं। उन्हें महज 12 हजार की मामलू सैलरी दी जा रही है।”

मदरसा संचालक तारिक शम्सी ने कहा, “2017 में मदरसों के लिए पोर्टल बनाया गया, कहा गया कि इससे पारदर्शिता और गुणवत्ता आएगी। बहुत सारे वादे किए गए थे।” उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ 10 मदरसों के नाम बता दे जिनमें आधुनिक शिक्षा दी जा रही हो? अगर बेहतर मदरसों का उदाहरण हो तो बाकी मदरसे भी साथ आएंगे और सर्वे का स्वागत होगा।

तारिक शम्सी ने मदरसों के सर्वे पर विरोध जताने वाले राजनीतिक दलों को लेकर कहा कि तमाम सियासी पार्टियां इसमें एक है। चाहे मुसलमानों की हितैषी बनने वाली सपा हो या फिर बसपा, कांग्रेस हो, सब एक हैं, सभी बेनकाब हो चुके हैं। किसी को मुसलमानों का वोट चाहिए तो वे मोहम्मद अली जौहरी विश्वविद्यालय का राग अलापते हैं, और किसी को मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए तो वे मदरसों के सर्वे की बात करते हैं। सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं।

मदरसों का सर्वे:

दरअसल हाल ही में यूपी के मदरसों का सर्वे करवाए जाने को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने अनुरोध किया था। इसके लिए यूपी मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार की तरफ से शासन को एक पत्र भेजा गया था। इसपर गंभीरता दिखाते हुए शासन ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर जरूरी निर्देश दिए थे।

बता दें कि निर्देश में प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का आदेश दिया गया है। सर्वे में एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर बिना मान्यता प्राप्त वाले मदरसों की संख्या, सुविधाएं और छात्र-छात्राओं की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जाएगा। जिलाधिकारियों से सर्वे रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में 25 अक्टूबर तक शासन को मुहैया करवानी होगी।