यूपी के संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद ने राजनीति और समाज में खलबली मचा दी है। समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान और बसपा प्रमुख मायावती ने मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। सांसद जिया उर रहमान ने इस मामले पर शुक्रवार को बयान दिया। उन्होंने कहा, “जामा मस्जिद पिछले सैकड़ों सालों से हमारी है… मैं यहां नमाज पढ़ने आया था और मैंने देखा कि पुलिस बल तैनात है… तीन दिन पहले जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि संभल में सभी समुदाय सद्भावना से रहते आए हैं। लेकिन याचिका दायर करने वाले कुछ शरारती तत्व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं… कोर्ट के आदेशों को चुनौती देना मेरा अधिकार है… इतनी जल्दी में सर्वे करने की क्या जल्दी थी?”

बीएसपी सुप्रीमो ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की

इस विवाद पर बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी चिंता जताई। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद, सुनवाई और फौरन सर्वे कराने की खबरें राष्ट्रीय चर्चा और मीडिया की सुर्खियों में हैं। उन्होंने सरकार और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि “इस तरह के मामलों से सामाजिक सद्भाव और माहौल बिगड़ सकता है।”

विवाद की जड़ तब गहरी हो गई जब संभल की दीवानी अदालत ने मस्जिद का सर्वे कराने के लिए ‘एडवोकेट कमीशन’ नियुक्त किया। अदालत ने आदेश दिया कि कमीशन वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के माध्यम से सर्वे कराकर अपनी रिपोर्ट पेश करे। याचिकाकर्ता और वकील विष्णु शंकर जैन ने इस स्थान को हरिहर मंदिर बताया और दावा किया कि यह उनकी आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि उनकी मान्यता के अनुसार, यहां कल्कि अवतार होना है। जैन का आरोप है कि 1529 में बाबर ने इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी।

यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यहां किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। अदालत के आदेश के बाद मस्जिद का सर्वे तेज चर्चाओं का विषय बन गया है। इस मुद्दे ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। जहां जिया उर रहमान ने इसे समाज में अशांति फैलाने का प्रयास बताया, वहीं मायावती ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की है। सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर इस विवाद पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।