गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के अगले ही दिन यूपी पुलिस और एमपी पुलिस अपने-अपने दावों पर आमने सामने आ गई। यूपी एसटीफ की जिस टीम ने उज्जैन से विकास दुबे को ट्रांजिट रिमांड पर लिया था और यूपी लेकर आई थी, उसने दावा किया है कि उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को एक पुलिस स्टेशन से दूसरे पुलिस स्टेशन मोटरसाइकिल पर ले जाया गया था और इस दौरान गैंगस्टर ने दो बार भागने की कोशिश की थी।
इधर, मध्य प्रदेश पुलिस ने यूपी पुलिस के इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि विकास दुबे को मोटकसाइकिल पर कहीं नहीं ले जाया गया और न ही उसने कभी भागने की कोशिश की थी।
यूपी एसटीफ के एक सीनियर अफसर, जो विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाने वाली टीम में शामिल थे, ने टीओआई से कहा, “एमपी पुलिस ने हमें उज्जैन के एक थाने में बुलाया लेकिन जब हम वहां पहुंचे तो हमें बताया गया कि दुबे को दूसरे थाने में रखा गया है। उनलोगों ने हमें इंतजार करने को कहा। हमने देखा कि एक पुलिसकर्मी दुबे को लाने के लिए मोटरसाइकिल से गया। जब विकास दुबे मोटकसाइकिल से आया तो उतरते ही वहां से भागने की कोशिश करने लगा। तब हमारी टीम और एमपी पुलिस ने मिलकर उसे पकड़ा। वह उस वक्त हमलोगों को गालियां दे रहा था।”
एसटीएफ के अधिकारी ने बताया कि इसके बाद दुबे को पूरी सुरक्षा प्रोटोकॉल और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए एसयूवी में ले जाया गया। अधिकारी ने कहा, “हमलोग शिवपुरी ( एमपी) के पास गाड़ी के टायर की हवा चेक कराने रुके, तब विकास दुबे ने फिर दोबारा भागने की कोशिश की। लेकिन एसटीएफ के जवानों ने उसे तुरंत दबोच लिया।” शिवपुरी के भी पुलिस अधिकारियों ने इस तरह के दावे को खारिज कर दिया है।
बता दें कि शुक्रवार (10 जुलाई) की सुबह यूपी एसटीएफ ने उज्जैन से कानपुर पहुंचने से पहले टोल प्लाजा के पास विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। पुलिस के मुताबिक गाड़ी पलटने के बाद दुबे पुलिसकर्मी का पिस्टल छीनकर भाग रहा था। जब उसे सरेंडर करने को कहा गया तो उसने गोली चला दी। जवाबी कार्रवाई में दुबे पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया।