उत्तर प्रदेश में अब सब्जी या और रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीदने के लिए घर से कपड़े या कागज का थैला ले जाना होगा क्योंकि राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के एक महीने बाद शुक्रवार को पूरे प्रदेश में पॉलीथीन थैलों के निर्माण और इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पत्रकारों कहा, ‘पॉलीथीन बैग और पॉलीथीन इसलिए प्रतिबंधित हो गए हैं क्योंकि अदालत का भी आदेश है और उत्तर प्रदेश को पर्यावरण हितैषी बनाने की दिशा में यह कदम जरूरी था’। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिबंध लगाने के बाद, उसके विकल्प क्या होंगे, इस पर भी कैबिनेट में चर्चा हुई। मंत्रिपरिषद में लिए गए फैसले के मुताबिक, प्रदेश में सभी तरह के प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, बिक्री, भंडारण और ढुलाई वगैरह को प्रतिबंधित किया जाएगा।
अब कोई भी दुकानदार, थोक या खुदरा विक्रेता, फेरी या ठेले वाला किसी भी खाद्य या अखाद्य सामान पॉलीथीन बैग में नहीं दे सकेगा। अब कोई भी व्यक्ति किसी किताब, निमंत्रण पत्र इत्यादि को रखने या ढकने के लिए किसी भी तरह के प्लास्टिक आवरण का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। इस प्रतिबंध के तहत ऐसी प्लास्टिक थैलियां शामिल नहीं होंगी जो पैकेजिंग का भाग या हिस्सा बनती है, या इसका अभिन्न अंग हैं, जिसमें प्रयोग से पहले चीजें सीलबंद की जाती हैं। इसके अलावा जैव चिकित्सीय कूड़ा-करकट (प्रबंधन एवं संभाल) नियमावली 1998 के तहत निर्दिष्टि प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल पर यह पाबंदी नहीं लागू होगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि पूरे प्रदेश में पॉलीथीन पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए 31 दिसंबर तक अध्यादेश जारी करे। प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने अदालत को आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अदालत कोई समयसीमा तय कर सकती है और उसके बाद राज्य सरकार इस सिलसिले में अधिसूचना जारी करेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खंड पीठ ने यह आदेश अशोक कुमार की जनहित याचिका पर दिया था। याचिका में शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए अदालत के दखल की अपील की थी।