उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अपनी परंपरागत सीट कुंडा से ही चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। उनकी पार्टी जनसत्ता दल ने 11 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। पहली लिस्ट में राजा भैया ने अपनी उम्मीदवारी से संशय के बादल पूरी तरह से हटा दिए हैं। हालांकि, राजा भैया की पार्टी को यूपी चुनाव में एक छोटे दल के रूप में ही देखा जा रहा है लेकिन त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में छोटे-छोटे सियासी दल सरकार में बहुत बड़ी भूमिका भी निभा सकते हैं।

भदरी रियासत के राजकुमार राजा भैया की पार्टी को चुनाव आयोग ने आरी चुनाव निशान आवंटित किया है। पहली सूची में जिन उम्मीदवारों पर मुहर लगाई गई उनमें राजा भैया के साथ विनोद सरोज, सुधीर राय, लक्ष्मी नारायण जायसवाल, विजय चौधरी, श्याम नारायण, हजरतदीन अंसारी, डॉ बृजेश सिंह राजावत, शैलेंद्र मिश्र, वीरेंद्र मौर्य व धीरज धोबी का नाम शामिल है। सभी उम्मीदवारों को दबंग छवि का माना जाता है।

दबंग छवि वाले राजा भैया कुंडा से 1993 से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। वो पहली बार 1993 में वो कुंडा के विधायक चुने गए थे। उसके बाद से कुंडा में उन्हें कोई हरा नहीं सका है। राजा भैया के खिलाफ प्रतापगढ़ के कुंडा के साथ यूपी के कई जिलों में संगीन धाराओं के तहत कुल 47 मामले दर्ज हैं। राजा भैया ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जानकी शरण को 1 लाख 3 हजार 647 वोट के अंतर से हराया था। यह जीत उत्तर प्रदेश के विधानसभा में सबसे अधिक वोटों के अंतर से हुई जीतों में दूसरे नंबर पर थी।

हालांकि, राजा भैया के सपा से गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन समाजवादी पार्टी के लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन के बाद से अखिलेश यादव और राजा भैया के रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी। हाल ही में अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात से लगा था कि वो सपा के साथ जा चुके हैं पर अब कयासों पर विराम लग गया। यूपी की सियासत में फिलहाल सपा ने बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत समीकरण बना लिया है जिसमें सभी दल शामिल होना चाहते हैं। रालोद के साथ गठजोड़ से सपा मजबूत हुई है।