लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गठबंधन चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों दल भी जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव में बीजेपी का सफाया करने का दम भर रहे हैं। लेकिन, बीजेपी भी महागठबंधन के सियासी पैंतरों से निपटने के लिए अपना दांव चल रही है। उत्तर प्रदेश में बीएसपी और एसपी गठबंधन को काउंटर करने के लिए बीजेपी ने अलग तरकीब निकाली है और इस गतिविधि की मॉनिटरिंग सीधे पीएमओ से हो रही है। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे कूमी कपूर के एक लेख के मुताबिक बीजेपी अपना कैंपेन मोड विकास के ऊपर फोकस रखने वाली है।

उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा का जातीय समीकरण सबसे ज्यादा मजबूत है। लेकिन, इस समीकरण को तोड़ने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विकास और इससे जुड़ी योजनाओं को हथियार बनाने का फैसला किया है। विगत 8 महीनों में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री के अहम योजनाओं को उत्तर प्रदेश में उतारने की जीतोड़ कोशिश की है। खुद मंत्रियों की निगरानी में सभी योजनाओं को जमीन पर लागू कराने का जिम्मा सौंपा गया है। टॉयलट, गरीबों के लिए गर और सिलेंडर जैसी सुविधाओं को सुनिश्चित कराने के लिए बड़े स्तर पर फंड का वितरण किया जा चुका है।

केंद्र की मोदी सरकार उत्तर प्रदेश में बिजली की आपूर्ति को लेकर भी काफी सचेत है। यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय और पावर मिनिस्ट्री के संपर्क में बने रहते हैं। उन्होंने बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में काफी काम किया है। वहीं, केंद्रीय संचार मंत्री और यूपी के गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा ने बताया कि आज की तारीख में यूपी का किसान रात को आराम से सोता है। क्योंकि, उसे सिंचाई के लिए दिन में ही पर्याप्त बिजली मिल रही है। बिजली के लिए उसे रात का इंतजार नहीं करना पड़ता है और यह 70 सालों में पहली बार हो रहा है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि किसान आज भी रात को जाग रहा है, क्योंकि आवारा मवेशी उनके फसलों को तबाह कर रहे हैं।