उत्तर प्रदेश में एक दलित प्रोफेसर यूनिवर्सिटी में लिंचिंग के डर से अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए हैं। मामला इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। यूनिवर्सिटी के मध्यकालीन एवं प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर 40 वर्षीय विक्रम हरिजन ने का कहना है कि उन्हें कैंपस में लिंचिंग का डर है। इसके बाद पिछले महीने वह अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए।

विभागाध्यक्ष योगेश्वर तिवारी को भेजे छुट्टी के आवेदन में प्रोफेसर विक्रम ने लिखा कि उनकी एक टिप्पणी का वीडियो अगस्त में वायरल होने के बाद उनका घेराव किया गया और धमकी दी गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने वीडियो में उनके कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

हालांकि, प्रोफेसर विक्रम की तरफ से इस नोटिस का अभी जवाब नहीं दिया गया है। वहीं, भाजपा से संबद्ध छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने प्रोफेसर विक्रम हरिजन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। लिंचिंग के डर पर यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर राम सेवक दुबे का कहना है कि प्रोफेसर विक्रम अनावश्यक राजनीति कर रहे हैं। वह कैंपस में लिंचिंग का शिकार होने का फर्जी आरोप लगा रहे हैं।

वहीं, प्रोफेसर विक्रम का आरोप है कि उनका रिसर्च स्कॉलर रंजीत कुमार, जो खुद एक दलित है, ने उनके दो साल पुराने भाषण को एडिट करने के बाद उसका वीडियो सर्कुलेट किया। प्रोफेसर का कहना है उन्हें परेशान करने के लिए रंजीत कुमार की तरफ से ऐसा किया गया। प्रोफेसर ने कहा कि 14 अप्रैल 2017 को मैंने बीआर अंबेडकर की जन्मदिवस की वर्षगांठ पर भाषण दिया था। प्रोफेसर विक्रम के अनुसार भाषण में उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए किस्मत पर निर्भर रहने की बजाय कड़ी मेहनत से आगे बढ़ने की बात कही थी। मैं अपने बयान से समानता को बढ़ावा देना चाहता था।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रोफेसर विक्रम ने कहा कि चूंकि इस साल मैंने रंजीत कुमार के खिलाफ चीफ प्रॉक्टर और वाइस चांसलर के खिलाफ शिकायत की थी। मैंने उसके व्यवहार को असंतोषजनक बताया था। इसके बाद उसने मुझे परेशान करने के लिए वीडियो ए़डिट करने के बाद सर्कुलेट कर दिया। प्रोफेसर का कहना है कि मैंने उससे अपने व्यक्ति जीवन से जुड़ी बातें भी साझा की। इसके बाद अब वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा है।