उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव 2017 की तरह गठबंधन का सहारा लेते नजर आ रहे हैं। बता दें कि सपा-आरएलडी गठबंधन में अगले साल होने वाले चुनाव में मैदान में उतर रहे हैं। 24 नवंबर को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्विटर पर एक फोटो भी शेयर की जिसमें उनके साथ आरएलडी के जयंत चौधरी दिखाई दे रहे हैं। इसको लेकर अखिलेश ने लिखा है, “एक मुलाकात, बदलाव के लिए!”।
वहीं सपा और आरएलडी के गठबंधन को लेकर एक निजी न्यूज चैनल के टीवी डिबेट में भाजपा प्रवक्ता केके शर्मा और सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया के बीच जमकर बहस देखने को मिली। दरअसल आज तक पर हुई एक बहस में राजनीतिक विश्लेषक शांतनु गुप्ता ने कहा कि जनता देखती है कि दो अलग-अलग दल पहले एक दूसरे को गाली देते हैं, और फिर बाद में गठबंधन कर लेते हैं। ये लोग किसी विचारधारा के चलते एक साथ नहीं आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये गठबंधन भाजपा को हराने के लिए हैं। इस तरह के बेमेल के मेल को जनता समझती है। इसपर अनुराग भदौरिया ने कहा, “लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा है कि एक दूसरे को किसी ने कुछ बोला भी हो तो बाद में आपस में फिर से मिल जाना चाहिए। लोकतंत्र में ऐसी नहीं होता है कि एक दूसरे को गाली देने लगे। ये बीजेपी करती है।” उन्होंने कहा कि पिछले सात सालों में यह सब भाजपा करने लगी है। वह नहीं चाहती कि यूपी में स्वस्थ लोकतंत्र रहे।
अनुराग भदौरिया की इस बात पर पलटवार करते हुए केके शर्मा ने कहा, “मैं हैरान हूं कि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता वैचारिक मतभेद को लेकर ज्ञान बांट रहे हैं। यह वैचारिक मतभेद नहीं है। आप भूल गए गेस्ट हाउस कांड?” उन्होंने कहा कि गेस्ट हाउस कांड में मायावती पर जानलेवा हमला हुआ। और आम आदमी पार्टी ने तो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। यह वैचारिक मतभेद नहीं है।
बता दें कि भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी हार अभी से मान बैठे हैं। वो चुनाव से पहले ही ईवीएम पर आरोप लगा चुके हैं।
गौरतलब है कि पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के चलते भाजपा की पकड़ कमजोर बताई जा रही है। ऐसे में सपा 2022 के चुनाव में बाजी मारने के लिए छोटे दलों से गठबंधन करने में लगी है। जहां एक तरफ पूर्वांचल में सपा ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से हाथ मिलाया है तो वहीं पश्चिमी यूपी में अपने समीकरण को साधने के लिए उसने जयंत चौधरी की आरएलडी से गठबंधन कर लिया है।