लोकसभा के बाद एंटी टेरर अमेंडमेंट बिल (यूएपीए) बिल शुक्रवार (2 अगस्त 2019) को राज्यसभा में भी पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 142 तो वहीं विपक्ष में 42 वोट पड़े। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। बता दें कि इस बिल में प्रावधान है कि अब किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा।

बिल पर मतदान से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल के दुरुपयोग की आशंकाओं को नकारा। उन्होंन कहा कि जब हम किसी आतंकी गतिविधियों में लिप्त संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं तो उससे जुड़े लोग दुसरी संस्था खोल देते हैं और अपनी विचारधारा फैलाते रहते हैं। जब तक ऐसे लोगों को आतंकवादी नहीं घोषित करते तब तक इनके काम पर और इनके इरादे पर रोक नहीं लगाई जा सकती।

विपक्ष का कहना है कि यह बिल संवैधानिक अधिकारों के हनन का अधिकार देता है। विपक्ष के इन तर्कों पर शाह ने कहा कि इस बिल के संशोधन में, किसे आतंकी घोषित कर सकते हैं, की पूरी व्याख्या की गई है। ऐसे ही किसी को आतंकी घोषित नहीं किया जा सकेगा। आतंकी अगर 2 कदम बढ़ते हैं तो हमारी एजेंसियों को 4 कदम आगे बढ़ना होगा। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता वह किसी व्यक्ति या सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि इंसानियत के खिलाफ है।

मालूम हो कि इस बिल में प्रावधान है कि केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकेगी। इसके लिए बिल में अलग-अलग व्याख्याएं की गई है। वहीं इस बिल के जरिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारों में बढ़ोतरी होगी जो कि फिलहाल आतंकवाद से जुड़े मामलों को लेकर सीमित हैं।

इन बिंदुओं के आधार पर किसी व्यक्ति या फिर संगठन को आतंकी घोषित किया जा सकता है:

1. जब कोई आतंकी गतिविधियों में भाग लेता है।
2. आतंकवाद के लिए तैयारी करने में मदद करता है।
3. आतंकवाद को बढ़ाने की कार्ययोजना बनाता है।
4. घोषित आतंकवादी संस्थाओं में मिला हुआ है।