UGC: देश में अब विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान जल्द बदलाव देखने को मिलेगा। क्योंकि एक नये ग्रेड के तहत जाने माने विशेषज्ञों को संकाय सदस्यों के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। इसके लिए औपचारिक शैक्षणिक योग्यता और प्रकाशन की आवश्यकताएं अनिवार्य नहीं होंगी। जिसके लिए दिशानिर्देश जारी कर दिया गया है। उसके अनुसार, जो आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। सबसे अहम बात है कि आयोग ने फैसला लिया है कि किसी भी समय उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) में प्रैक्टिस प्रोफेसरों की संख्या स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
प्रैक्टिस के प्रोफेसरों के अप्रूव्ड कॉन्ट्रैक्ट दिशानिर्देशों के अनुसार, इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवाओं और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ काम पर रखने के पात्र होंगे। ‘जिन लोगों ने अपने प्रोफेशन या भूमिका में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता साबित की है। वो सीनियर लेवल पर प्रैक्टिस प्रोफेसरों के लिए योग्य होंगे।’
जारी किए गए दिशा निर्देश
इसके बारे में दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जिनके आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। इस गाइडलाइन के मुताबिक,”जिन लोगों ने अपने विशिष्ट पेशे या भूमिका में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता साबित कर दी है अधिमानतः वरिष्ठ स्तर पर अभ्यास के प्रोफेसरों के लिए पात्र होंगे। इस पद के लिए एक औपचारिक शैक्षणिक योग्यता को आवश्यक नहीं माना जाता है यदि उनके पास एवज में अनुकरणीय पेशेवर अभ्यास है।”
3 ग्रेड्स में होंगी नियुक्तियां
दिशानिर्देशों के अनुसार,’इन विशेषज्ञों को प्रोफेसर लेवल पर संकाय सदस्यों की भर्ती के लिए निर्धारित प्रकाशनों और अन्य योग्यता के मानदंडों की आवश्यकता से भी छूट दी जाएगी। हालांकि, उनके पास कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने का कौशल होना चाहिए।’ योजना के तहत संकाय सदस्यों को तीन ग्रेड्स में नियुक्त किया जाएगा।
ऐसे पदों पर पात्रता मानदंडों से मिलेगी छूट
इन विशेषज्ञों को प्रोफेसर स्तर पर संकाय सदस्यों की भर्ती के लिए निर्धारित प्रकाशनों और अन्य पात्रता मानदंडों की आवश्यकता से भी छूट दी जाएगी जारी किए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक उन्हें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को ठीक से निर्वहन करने की कला होनी चाहिए। आयोग ने निर्णय लिया है कि किसी भी समय उच्च शिक्षा संस्थान में प्रैक्टिस के प्रोफेसरों की संख्या स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
एक निश्चित अवधि के लिए होंगे प्रैक्टिस प्रोफेसर
गाइड लाइंस में ये भी कहा गया है, “प्रैक्टिस के प्रोफेसरों की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होगी। उनकी भर्ती विश्वविद्यालय या कॉलेज के स्वीकृत पदों को छोड़कर होगी। यह स्वीकृत पदों की संख्या और नियमित संकाय सदस्यों की भर्ती को प्रभावित नहीं करेगा। योजना नहीं होगी शिक्षण की स्थिति में उन लोगों के लिए खुला हो या तो सेवारत या सेवानिवृत्त हो।” इस श्रेणी में काम पर रखे गए लोगों के लिए पारिश्रमिक के रूप में संस्था और विशेषज्ञ के बीच आपसी सहमति से एक समेकित राशि का भुगतान किया जाएगा।
4 साल से अधिक नहीं होगा कार्यकाल
जारी की गई गाइडलाइंस में बताया गया है, “शुरुआत में एक वर्ष का एंगेजमेंट हो सकता है उसके बाद एचईआई उसका मूल्यांकन करेगा और उम्मीदवार के आगे के विस्तार पर निर्णय करेगा। एचईआई उम्मीदवार के कार्य और उसके योगदान के आधार पर विस्तार के लिए अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया तैयार करेगा और प्रैक्टिस के प्रोफेसर के रूप में लगे विशेषज्ञों की आवश्यकता किसी संस्थान में अधिकतम अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और बहुत ही असाधारण मामलों में इसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। कुल सेवा किसी भी परिस्थिति में चार वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।”