पिछले दिनों पांच राज्यों में हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी दूर करने और इनमें अपनी साख मजबूत करने के लिए गंभीर रूप से विचार कर रही है। खबर के मुताबिक मोदी सरकार इसके तहत UBI यानी यूनिवर्सल बेसिक इनकम और तेलंगाना के किसान मॉडल की संभावनाओं पर विचार कर रही है। दरअसल केंद्र और भाजपा आलाकमान को लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव में जिस मजबूती से किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठाया, अगर इसका आक्रमक जवाब नहीं दिया गया तो साल 2019 में के आम चुनाव में इसका खासा असर देखने को मिल सकता है।

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी UBI लागू किए जाने के लिए अब तक किए गए जमीनी काम की समीक्षा करेंगे। जानना चाहिए कि सरकार इस योजना को दस करोड़ लोगों के बीच लागू करने पर विचार कर रही है। संभव है कि 15 जनवरी तक इसका ऐलान भी हो जाए। अगर यह योजना लागू होती है तो इसके दायरे में आने वाले लोगों को हर महीना एक खास राशि दी जाएगी। शुरुआत में ऐसे लोगों को दो से ढाई हजार रुपए प्रति महीना देने पर विचार है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में तब भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में इस स्कीम को जगह दी थी। एक साल पहले एक सर्वे में भी लोगों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए इस स्कीम को लागू करने की वकालत की गई थी। सर्वे में कहा गया कि गरीबों के कल्याण के लिए यह योजना बहुत बेहतर साबित हो सकती है।

जानकारी मिली है कि मोदी सरकार इस योजना में सबसे पहले दस हजार करोड़ रुपए खर्च करने का रास्ता निकालने में जुटी है। गौरतलब है कि पूरी दुनिया में फिनलैंड एकलौता ऐसा देश था जहां इस स्कीम को पूरी तरह से लागू किया गया। बाद में करीब 25 देशों ने इसे अपनाया।

ऐसा नहीं है कि भारत में इस स्कीम के लिए अभी विचार किया गया है। साल 2016 में मध्य प्रदेश की एक पंचायत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू भी किया गया। केंद्र सरकार ने तेलंगाना के किसान मॉडल को भी गंभीरता से लिया है। भाजपा शासित झारखंड में बकायदा इस योजना को लागू किया गया है।