अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर सलाह देने वाली एक गैर-सरकारी कमीशन USCIRF के सदस्यों को भारत सरकार ने वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1 जून को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को लिखे एक पत्र में यह बात कही है। गौरतलब है कि ‘यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम’ (USCIRF) ने इसी साल अप्रैल में अमेरिकी सरकार को सलाह दी थी कि वह धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न यानी विशेष चिंता वाले देशों में शामिल करे।
2004 के बाद यह पहली बार था, जब USCIRF ने भारत के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव प्रशासन के सौंपा था। पहली बार कमीशन ने 2002 के गुजरात दंगों के मद्देनजर भारत को कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न में रखने की मांग की थी। USCIRF की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में धार्मिक आजादी के उल्लंघन पर अतिरिक्त चिंता करने की जरूरत है। भारत धार्मिक आजादी के उल्लंघन में शामिल है। यहां व्यवस्थित तरीके से ऐसा होने के बाद भी इसे बर्दाश्त किया जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार पर इस कमीशन की सलाहों को मानने का कोई दबाव नहीं होता।
इसी अमेरिकी कमीशन को वीजा देने के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निशिकांत दुबे को पत्र लिखकर कहा, “हमने धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर भारत के दौरे के लिए वाली USCIRF की टीमों के वीजा रद्द कर दिए हैं, क्योंकि हमें इस कमीशन से भारतीय नागरिकों के हालात और संवैधानिक रूप से सुरक्षित अधिकारों के बारे में सुनने की कोई जरूरत नहीं है।”
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जयशंकर ने आगे कहा, “USCIRF पहले से ही अपने पक्षपातपूर्ण, गलत और बहकाने वाली टिप्पणियों के लिए जाना जाता रहा है। खासकर भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर। हम इसका संज्ञान भी नहीं लेते और पहले भी भारत के बारे में गलत जानकारी देने वाली रिपोर्ट्स का खंडन कर चुके हैं।” विदेश मंत्री ने आगे कहा, “विदेश मंत्रालय पहले ही USCIRF के बयान को गलत और गैरजरूरी बताकर अस्वीकृत कर चुका है। हम अपनी स्वायत्ता और संविधान के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों के मामले में किसी विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगे।”
USCIRF ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को सलाह दी थी कि भारत को धार्मिक भेदभाव के लिए चिंताजनक स्थिति वाले 14 देशों की सूची में शामिल किया जाए। इसमें भारत, नाइजीरिया रूस, सीरिया और वियतनाम को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया था, जबकि चीन, इरीट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान पहले ही इस लिस्ट का हिस्सा हैं।