विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लेकर लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे कारोबारी विजय माल्या को भारत लाने की इजाजत मिल गई है। ब्रिटिश गृह मंत्रालय के हवाले से यह खबर आई है। शुरुआती खबरों के मुताबिक, ब्रिटिश होम सेक्रेटरी ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण की इजाजत दे दी है। हालांकि, माल्या को अपील करने का मौका मिलेगा।
ऐन चुनाव से पहले इस फैसले का राजनीतिक फायदा मोदी सरकार को हो सकता है। विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि मोदी सरकार ने माल्या और नीरव मोदी जैसे कारोबारियों को देश से भागने में मदद की। माल्या के प्रत्यर्पण से मोदी सरकार को विपक्ष के हमले को कुंद करने का मौका मिल जाएगा। इससे पहले, अगस्ता वेस्टलैंड केस में बिचौलिए मिशेल को भी भारत लाया जा चुका है।
बता दें कि इससे पहले, ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने भी पिछले साल माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। वहीं, माल्या ने कहा था कि वह बैंकों का मूलधन लौटाने को तैयार हैं। ब्रिटेन की अदालत में विजय माल्या के खिलाफ तीन आरोप तय किए गए हैं। ये आरोप साजिश, धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए हैं।
माल्या पर कुछ वक्त पहले और ज्यादा शिकंजा उस वक्त कस गया, जब मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून के तहत मुंबई की एक अदालत ने माल्या को भगोड़ा घोषित किया था। प्रवर्तन निदेशालय की दरख्वास्त पर कोर्ट ने यह कदम उठाया था। इसके साथ ही माल्या देश से भागने वाले पहले ऐसे कारोबारी बन गए, जिन्हें इस कानून के तहत भगोड़ा घोषित किया गया। माल्या को स्वदेश लाने की कोशिशें लगातार जारी हैं, लेकिन कानूनी दांव पेंचों की वजह से वह अभी तक बचते रहे हैं।
माल्या के अलावा नीरव मोदी और राहुल चोकसी जैसे कारोबारी भी देश से भाग चुके हैं। सरकार ने अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऐसे लोगों के खिलाफ निगरानी नोटिस जारी करने का अनुरोध करने का सीधा अधिकार दिया है, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे और जिनके देश से भागने की आशंका है। अभी तक ऐसा अनुरोध गृह मंत्रालय, पुलिस, सीबीआई जैसी एजेंसियों की ओर से ही जारी किया जाता था।