केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को सुझाव दिया कि कोरोनवायरस वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ और दवा कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दी जानी चाहिए। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में आग्रह करेंगे कि देश में जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए और दवा कंपनियों को मंजूरी देने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए।

गडकरी ने कहा, “इसमें दवा के पेटेंट धारक को अन्य दवा कंपनियों द्वारा 10 प्रतिशत रॉयल्टी देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘‘यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी। इसलिए एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिए। इसके लिए टीके के मूल पेंटेंट धारक कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा दस प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए।’’

गडकरी ने कहा कि हर राज्य में दो-तीन लैब्स हैं। हम उन्हें वैक्सीन बनाने के लिए दे सकते हैं। ये सेवा के तौर पर नहीं, बल्कि रॉयल्टी चुकाने के साथ किया जाएगा। इससे वैक्सीन निर्माण 15-20 दिनों में शुरू हो सकता है। उन्होंने बताया- “मैंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बारे में बताया है। मैं पीएम मोदी को भी इस बारे में बताउंगा, ताकि फार्मा कंपनी 10 फीसदी रॉयल्टी देकर पेटेंट रखने जीवनरक्षक दवाओं का उत्पादन कर सकें।”

ऑक्सीजन की कमी और शवों के अंतिम संस्कार के इंतजामों पर जताई नाराजगी: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने अंतिम संस्कार के बेहतर इंतजाम करने की बात कही। साथ ही ऑक्सीजन की कमी से जान जाने पर नाराजगी भी जताई। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी और शहरी विकास मंत्रालय को शवों के अंतिम संस्कार के लिए बेहतर व्यवस्था करने को कहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर चंदन की लकड़ियों की जगह ईधन- डीजल, एथेनॉल, बायोगैस और बिजली इस्तेमाल की जाएं, तो अंतिम संस्कार किफायती हो सकते हैं।

गडकरी का यह बयान ऐसे समय आया है कि जब उत्तर प्रदेश और बिहार में कोरोना मरीजों के शवों का नदियों और किनारों पर मिलना जारी है। लोगों का कहना है कि अंतिम संस्कार महंगा होने की वजह से कई परिवार अपने करीबियों की लाशें बहा देते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब लकड़ी का इस्तेमाल कर एक व्यक्ति को जलाया जाता है, तो इसमें तीन हजार का खर्च आता है। लेकिन अगर डीजल इस्तेमाल हो तो 1600 रुपए का खर्च ही हाएगा। एलपीजी इस्तेमाल हुई तो यह खर्च 1200 रुपए रह जाएगा। बिजली पर यह 750-800 और बायोगैस इस्तेमाल पर यह खर्च हजार रुपए से कम ही रहेगा।”

आत्मनिर्भर भारत पर भी खड़े किए सवाल: नितिन गडकरी ने कहा कि भारत को अभी भी दवाओं के लिए कच्चा माल विदेशों से मंगाना पड़ता है। ‘‘हम आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं .. भारत के सभी जिले चिकित्सा ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होने चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र इस समय गहरे संकट से गुजर रहा है। ‘‘महामारी के दौरान हमें सकारात्मक रुख रखते हुए आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए।’’