ईपीएफओ की न्‍यासी बोर्ड ने शनिवार को पीएफ के ब्याज दरों में कटौती का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है। ताजा रेट पिछले चालीस सालों में कम है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए अब सिर्फ 8.1 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज देने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव को लेकर अब सरकार सवालों के घेरे में है। इस मुद्दे पर केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि पीएफ पर ब्याज कम करना गलत नहीं है।

असम में एक कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि एफडी और पीपीएफ पर ब्याज कम मिलता है, इसलिए पीएफ पर भी ब्याज कम करना गलत नहीं है। उनके इस तर्क से सोशल मीडिया पर लोग खुश नहीं दिखे और उन्हें जमकर खरी-खोटी सुना दी। लोगों ने कहा कि महंगाई दर के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई है क्या? जो अब ब्याज दर कम करके उसे सही ठहराया जा रहा है।

भूपेंद्र यादव ने कहा-“2021-22 के लिए ईपीएफ बचत पर 8.1% ब्याज दर की घोषणा करना सही लगता है, जब एसबीआई 10 साल की एफडी पर लगभग 5.4% रिटर्न देती है, पीपीएफ जैसे बचत साधनों पर रिटर्न 6.8% से लेकर 7.1% की सीमा में है”।

इनके इस बयान पर रिप्लाई देते हुए सचिन (@Really_sachin) नाम के यूजर ने लिखा- “मुद्रास्फीति दर क्या है और क्या मुद्रास्फीति के साथ वेतन बढ़ रहा है”? वहीं अमन (@amanrocksgmail1) नाम के यूजर ने लिखा-” ईपीएफ बाजार से जुड़ा हुआ नहीं है और न ही यह एक निवेश का साधन है, प्रत्येक वेतनभोगी मध्यम वर्ग की सुरक्षा और सेवानिवृत्ति के बाद उनके सम्मानजनक जीवन के लिए ये है। सरकार को इस बारे में थोड़ा और संवेदनशील होना चाहिए था..”।

एक अन्य यूजर रजनीश (@rajnieeshSikar07) ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए लिखा- “श्री यादव, यह बुरी खबर है जब मुद्रास्फीति अधिक है और सभी बैंक एफडी की दरें बढ़ा रहे हैं। आप वेतनभोगी वर्ग की सेवानिवृत्ति कम कर रहे हैं। बहुत बुरा है ये”।

बता दें कि ईपीएफओ की न्‍यासी बोर्ड ने ब्याज कम करने वाला प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है। जिस पर अब फैसला लिया जाना है।