UPS Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने शनिवार को घोषित यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) लॉन्च की है। इसे केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा लिए गए एक बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है। इसका सीधा असर सरकारी नौकरी करने वाले देश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले मध्यम वर्ग के एक छोटे से हिस्से पर पड़ने वाला है। यह नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम अगले वित्त वर्ष से लागू होगी।

केंद्र सरकार की इस नई पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी नौकरी के आखिरी वर्ष की सैलरी के बेसिक वेतन का 50 प्रतिशत पेशन के तौर पर मिलेगा। इसके अलावा वक्त के साथ उनके महंगाई भत्ते (डीए) में भी बढ़ोतरी होगी। यूपीएस अब उन कर्मचारियों के लिए एक विकल्प होगा जो 2004 या उसके बाद सेवा में शामिल हुए थे।

विकल्प के तौर पर लागू रहेगाी NPS

भले ही UPS लागू हो जाएगी लेकिन राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) भी एक विकल्प के तौर पर बनी रहेगी। एनपीएस के लिए कर्मचारी के मूल वेतन से 10% योगदान की आवश्यकता होती है, जिसमें सरकार 14% का योगदान देती है। यूपीएस के तहत, सरकार का योगदान बढ़कर 18.5% हो जाएगा, हालांकि केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन और डीए का 10% योगदान देना जारी रखेंगे।

Unified Pension Scheme: OPS और NPS से कितनी अलग UPS? जानें नई पेंशन स्कीम से कितना होगा फायदा

केंद्र सरकार के केवल 23 लाख कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ के साथ, सरकार ने मुख्य रूप से नौकरशाही में शामिल लोगों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश की है। यह कदम राज्य सरकारों, संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs) के लिए भी लागू हो सकता है, जिसे ध्यान में रखकर ही यह योजना शुरू की गई है।

मध्यम वर्ग तक पहुंच बनाने की कोशिश

बता दें कि 80 करोड़ परिवारों को मुफ्त 5 किलो अनाज, गरीबों के लिए घर और गैस सिलेंडर जैसी पॉपुलर योजनाओं के जरिए बीजेपी ने गरीबों के बीच अपनी पैठ बनाई है। वहीं अब मोदी सरकार ने पहली बार सरकारी नौकरियों में कार्यरत मध्यम वर्ग के एक हिस्से को बड़ी राहत दी है, जबकि पिछले 10 सालों में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को खुश होने के लिए कुछ खास नहीं मिला है।

UPA के पुराने फैसले की क्यों दिला रहा याद?

यह कदम कांग्रेस के कार्यकाल से कुछ हद तक मिलता-जुलता है, जब छठे वेतन आयोग द्वारा सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में उल्लेखनीय वृद्धि की गई थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार वेतनभोगी मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए अक्सर आयकर स्लैब में बदलाव करने के लिए जानी जाती थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस ओर कुछ खास किया ही नहीं।

5 पॉइंट्स में समझिए क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम? आसान भाषा में जानिए विशेषताएं

खड़गे बोले – UPS में ‘U’ है यू-टर्न

दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यूपीएस में ‘यू’ का मतलब मोदी सरकार का यू टर्न है! 4 जून के बाद, लोगों की शक्ति प्रधानमंत्री के सत्ता के अहंकार पर हावी हो गई है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन/इंडेक्सेशन के बारे में बजट में रोलबैक ; वक्फ बिल को जेपीसी को भेजना; ब्रॉडकास्ट बिल को रोलबैक; लेटरल एंट्री को रोलबैक। हम जवाबदेही सुनिश्चित करते रहेंगे और 140 करोड़ भारतीयों को इस निरंकुश सरकार से बचाएंगे!

BJP फूंक-फूंककर रख रही है कदम

गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्रियों और स्पीकर के चयन से पता चलता है कि पीएम मोदी निरंतरता का संदेश देना चाहते हैं, लेकिन हाल ही में सरकार के कुछ फैसलों से पता चलता है कि लोकसभा चुनावों में 63 सीटें हारने के बाद बीजेपी इस बात को लेकर बहुत संवेदनशील है कि उसे किस तरह देखा जा रहा है। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं – क्या उनकी सरकार ने हिमाचल प्रदेश में वादे के मुताबिक पुरानी पेंशन योजना लागू की है? कांग्रेस पार्टी पेंशन के बारे में अपने आश्वासन के झूठ से इतनी चिंतित हो गई है कि वह लोकसभा चुनावों में अपने घोषणापत्र के हिस्से के रूप में इसे शामिल करने का साहस नहीं जुटा पाई।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पिछले दो सालों में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को वापस लागू करने का वादा किया था, लेकिन अपने लोकसभा घोषणापत्र में इसे शामिल नहीं किया। हालांकि UPS, OPS जैसा नहीं है, लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए इसके लाभों को OPS के करीब माना जा रहा है।