पिछले 6 सालों में बेरोजगारी घटी है। 2017-18 में कार्यरत लोगों की संख्या 47.5 करोड़ थी जो अब बढ़कर 2023-24 में 64.33 करोड़ हो गई है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने गुरुवार को लोकसभा में भारतीय रिजर्व बैंक के KLEMS डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी दी। एक लिखित उत्तर में मंत्री शोभा करंदलाजे ने वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि का भी जिक्र किया।

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

Periodic Labour Force Survey (PLFS) के आंकड़ों के अनुसार 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए वर्कर पापुलेशन रेशियो (WPR) 2019-20 में 28.7% से बढ़कर 2023-24 में 40.3% हो गया। यह घोषणा श्रम मंत्रालय द्वारा भारत के बेरोज़गारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाली एक मीडिया रिपोर्ट का खंडन करने के एक दिन बाद आई है।

मंत्रालय ने PLFS का बचाव करते हुए इसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बताया। इसमें यह भी बताया गया कि PLFS जनवरी 2025 से मासिक अनुमान तैयार करने लगा है, जिससे श्रम बाजार के रुझानों पर अधिक लगातार और समय पर अपडेट हासिल करना संभव हो गया है।

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बड़ी बातें

  • लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 49.8% (2017-18) से बढ़कर 60.1% (2023-24) हो गई।
  • वर्कर जनसंख्या अनुपात 46.8% से बढ़कर 58.2% हो गया।
  • बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% हो गई।
  • युवा बेरोजगारी दर 17.8% से घटकर 10.2% हो गई, जो वैश्विक औसत 13.3% से कम है।

मंत्रालय ने कहा, “ये सुधार वर्किंग एज पापुलेशन की आबादी की प्रोडकटिव रोजगार में अधिक भागीदारी का संकेत देते हैं।” मंत्रालय ने विशेष रूप से भारत के युवाओं में बेरोजगारी बढ़ने के दावों को खारिज किया।