प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY Scheme)योजना के तहत तकरीबन 600 लाख टन खाद्यान्न मुफ्त वितरण के लिए राज्यों को आवंटित किया गया है। राज्यों ने 15 सितंबर तक 83 प्रतिशत अनाज उठाकर अपने पास स्टोर कर लिया है। कोरोना के समय गरीबों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल पीएमजीकेएवाई की घोषणा की थी। राशन कार्ड धारकों को संकट के समय से यह लाभ दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र सरकार 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो खाद्यान्न की अतिरिक्त मात्रा फ्री में दे रही है। शुरुआत में पीएमजीकेएवाई के तहत यह अतिरिक्त मुफ्त लाभ तीन महीने अप्रैल 2020 से जून 2020 की अवधि के लिए दिया गया था।
कोविड संकट को देखकर कार्यक्रम को और पांच महीने जुलाई 2020 से नवंबर 2020 के लिए बढ़ा दिया गया। महामारी की दूसरी लहर की शुरुआत पर PMGKY को एक बार फिर से दो महीने मई 2021 से जून 2021 के लिए फिर से शुरू किया गया। अब इसे आगे पांच महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था। यह लाभ जुलाई से नवंबर 2021 तक दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि कोरोना के कारण आए संकट के बीच केंद्र सरकार ने राशन कार्डधारक परिवारों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना लागू की थी। भारत सरकार ने अब तक के सभी चार चरणों में पीएमजीकेएवाई योजना के तहत लगभग 600 लाख टन खाद्यान्न आवंटित किया है। एनएफएसए के तहत, सरकार 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर प्रदान करती है। अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम प्रदान करती है।
चौथे चरण के दौरान खाद्यान्न उठाने के मामले में केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार शीर्ष पर है। इसने आवंटित खाद्यान्न का 93 प्रतिशत उठा लिया है। ओडिशा ने 92 प्रतिशत, त्रिपुरा और मेघालय में से प्रत्येक, 73-73 प्रतिशत का उठान करके तीसरे स्थान पर हैं। जबकि तेलंगाना, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश ने 15 सितंबर तक 71 प्रतिशत खाद्यान्न उठाया है।
पीएम मोदी ने कई बार कहा है कि सरकार के लिए गरीबों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। तेज की बढ़ती कीमतों का बचाव करने के लिए सरकार के मंत्री व बीजेपी नेता अक्सर यह कहते देखे जाते हैं कि सरकार के लिए गरीब सबसे ऊपर हैं। तेल की बिक्री से मिलने वाला टैक्स गरीबों को अन्न उपलपब्ध कराने में खर्च की जा रही है।