संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को 10 दिन पहले ही आतंकी घोषित करने पर मुहर लगा दी। ये निर्णय चीन में होने वाली बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक से पहले हो चुका था। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार इस मुद्दे पर बंद कमरे में काफी गहन विचार विमर्श किया गया।

इस दौरान अमेरिका से लेकर दिल्ली, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और पाकिस्तान को भी शामिल किया गया। इन छह देशों के अधिकारी इस गहन विचार विमर्श में शामिल रहे। भारत की तरफ से आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया गया था। एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि इसमें कई देश शामिल थे और यह बातचीत गुप्त स्तर पर हो रही थी। बातचीत की पूरी प्रक्रिया काफी उलझी रही और इसमें कई तरह के समझौते शामिल थे।

बेल्ट एंड रोड फोरम पर चुप्पी ने भी अजहर पर प्रतिबंध लगाने में अहम भूमिका अदा की। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर मोल-भाव नहीं करता । उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाना था।’

प्रवक्ता ने कहा कि पुलवामा आतंकवादी हमले ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में अहम भूमिका निभायी। उन्होंने यह भी कहा कि मसूद अजहर को प्रतिबंध सूची में डलवाने में चीन के समर्थन से दोनों देशों के संबंधों में बेहतरी आएगी। इससे पहले चीन ने इस प्रस्ताव पर से अपना स्थगन हटा लिया था।

अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया मार्च के प्रारंभ में ही शुरू हो गई थी जब चीनी वार्ताकार कोंग जुआनयू पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। यहां पाकिस्तान ने चीन के सामने 5 शर्तें रखी थीं। इसके बाद 13 मार्च संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 पर आपत्ति व्यक्त करने की अंतिम तारीख थी।

इससे पहले भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ अजहर के विभिन्न आतंकवादी हरकतों से उसके जुड़े होने के बारे में सबूत साझा किए गए। अजहर पर प्रतिबंध लगाने में इन सबूतों ने अहम भूमिका अदा की। इसमें अजहर की तरफ से साल 2001 में संसद पर हमले से लेकर 2019 में पुलवामा हमले तक का जिक्र था।

इससे पहले पुलवामा हमले के बाद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की आलोचना किए जाने के बाद से इस बात की उम्मीद बढ़ गई थी। इससे पहले अमेरिका ने चीन से लिखित रूप में मांगा था कि वह अजहर के आतंकी सूची में शामिल होने के प्रस्ताव का विरोध नहीं करेगा। ऐसा नहीं होने की सूरत में अमेरिका ने चीन से 23 अप्रैल को ओपन वोटिंग कराए जाने की बात कही थी। वहीं विदेश सचिव विजय गोखले भी 22 अप्रैल को चीन की यात्रा पर गए थे। वहां भी इस संबंध में समहति बनी थी।