हाल ही में एक ब्रिटिश महिला ने आध्यात्मिक गुरु ओशो पर सनसनीखेज आरोप लगाया था। महिला ने आरोप लगाया कि 1970 के दशक में दुनिया भर के ओशो आश्रमों में 50 से अधिक बार उसके साथ बलात्कार किया गया। जिसके बाद मंगलवार को ओशो के करीबी सहयोगियों ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि पुणे शहर के कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित आश्रम के अंदर बच्चों को जाने की अनुमति नहीं थी।

यूके स्थित समाचार पत्र द टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में 54 साल की महिला ने आरोप लगाया कि उसकी मां के पंथ की ओर आकर्षित होने के बाद उसे सात साल की उम्र से यौन गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि 7 से 11 साल की उम्र के बीच, उसे और उसकी सहेलियों को आश्रम में रहने वाले वयस्क पुरुषों के साथ सेक्सुअल एक्टिविटी करने के लिए मजबूर किया गया और मामला बलात्कार तक पहुंच गया।

मारोसेजा पेरिज़ोनियस द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री, चिल्ड्रेन ऑफ द कल्ट भी ओशो आश्रमों के खिलाफ महिला के आरोपों पर आधारित है। ओशो के करीबी सहयोगी स्वामी चैतन्य कीर्ति ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अगर ये आरोप 70 के दशक के पुणे स्थित आश्रम से भी जुड़े हैं तो ऐसा लगता है कि ये पैसे कमाने के इरादे से लगाए गए हैं। जहां तक ​​70 के दशक के पुणे के ओशो आश्रम की बात है तो ये बेबुनियाद हैं और इनमें जरा भी सच्चाई नहीं है क्योंकि लंच ब्रेक के दौरान एक बार को छोड़कर बच्चों को कभी भी आश्रम के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी।”

स्वामी चैतन्य कीर्ति 15 साल तक ओशो के साथ रहे थे

स्वामी चैतन्य कीर्ति जिन्हें ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट से बाहर कर दिया गया है और अब ‘विद्रोही संन्यासिन’ समूह के प्रमुख हैं। उन्होंने ओशो टाइम्स के संपादक के रूप में कार्य किया और उन्हें उनका दाहिना हाथ माना जाता था। चैतन्य कीर्ति 1974 में आश्रम में शामिल हुए थे और कम से कम 15 सालों तक उनके साथ रहे थे।

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पुणे के आश्रम में बच्चों को रहने की इजाजत नहीं

स्वामी कीर्ति ने कहा कि पुणे के आश्रम में बच्चों को रहने की इजाजत नहीं है इसलिए उनके यौन शोषण का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा,“केवल माता-पिता को ही आश्रम में रहने की अनुमति थी। दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक लंच ब्रेक के दौरान, माता-पिता को अपने बच्चों को आश्रम कैंटीन में लाने की अनुमति थी। वे वहां दोपहर का भोजन कर सकते थे और जैसे ही दोपहर का भोजन खत्म हो गया, माता-पिता को अपने बच्चों को आश्रम के बाहर उनके कमरे में वापस छोड़ना था।”

ईसाई कट्टरपंथियों के कुछ समूह ओशो को बदनाम करना चाहते हैं- चैतन्य कीर्ति

चैतन्य कीर्ति ने कहा, “ईसाई कट्टरपंथियों के कुछ समूह ओशो के नाम को बदनाम करने, फिल्में बनाने, किताबें लिखने और ओशो के खिलाफ अपनी भयावह साजिशों के लिए पेड मीडिया का उपयोग करने के लिए फिर से बहुत सक्रिय हो गए हैं। ऐसे लोगों का ओशो के खिलाफ मीडिया को फंडिंग करने का इतिहास रहा है।”

स्वामी ने आरोप लगाया, “नेटफ्लिक्स पर वाइल्ड वाइल्ड कंट्री के बाद, ओशो के खिलाफ नकारात्मकता फैलाने पर ब्रेक था और अब यह चिल्ड्रेन ऑफ द कल्ट डॉक्यूमेंट्री आई है जो यूके की लड़की के जीवन पर आधारित कामुक कथा है। वह इस प्रोजेक्ट से बहुत सारा पैसा और नाम कमाएंगी।”

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आरोप लगाने वाली महिला ओशो के नाम पर पैसा कमाना चाहती है

चैतन्य कीर्ति ने कहा, “महिला जानती है कि सेक्स कहानियों में पृथ्वी के सभी कोनों तक पहुंचने की अपार क्षमता है और इसके साथ ओशो का नाम जुड़ने से बड़ी सफलता निश्चित रूप से आपकी है। सेक्स की भूखी दुनिया में मनगढ़ंत सेक्स कहानियां तेजी से बिकती हैं। आज भी विकृत मानसिकता वाले लोगों की दुनिया रहती है और आधुनिक मीडिया इस दुनिया की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट की प्रवक्ता मां अमृत साधना ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “रिज़ॉर्ट चलाने वाले 21 सदस्यों ने सामूहिक रूप से आरोपों का जवाब नहीं देने का फैसला किया है क्योंकि रिज़ॉर्ट का उनसे कोई लेना-देना नहीं है।”