केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक ‘उज्ज्वला योजना’ रही है। इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से की थी। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, खाना पकाने के ईंधन के रूप में एलपीजी के इस्तेमाल से अकेले वर्ष 2019 में प्रदूषण से संबंधित करीब 1.5 लाख अकाल मौतों को रोकने का अनुमान है।
इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पीएम उज्ज्वला योजना ने उस वर्ष कम से कम 1.8 मिलियन टन पीएम2.5 उत्सर्जन से बचने में भी मदद की। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (WRI) इंडिया के लिए काम करने वाले अजय नागपुरे, रितेश पाटीदार और वंदना त्यागी द्वारा की गई स्टडी जारी है और अभी इसकी समीक्षा भी की जानी बाकी है।
आईआईटी रुड़की से पीएचडी कर चुके अजय नागपुरे 18 सालों से वायु प्रदूषण से संबंधित रिसर्च में शामिल रहे हैं। एक पर्यावरण इंजीनियर वंदना त्यागी पहले आईआईटी रुड़की में एक रिसर्चर थीं और उसी संस्थान से 2017 के स्नातक रितेश पाटीदार,स्वच्छ खाना पकाने के ऊर्जा समाधान, वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी चीजों पर रिसर्च कर रहे हैं।
मौतों का अनुमान लगाने के लिए नागपुरे और उनकी टीम ने अक्टूबर 2020 में द लैंसेट में प्रकाशित ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी द्वारा इस्तेमाल की गई कार्यप्रणाली को अपनाया। जीबीडी स्टडी ने वायु प्रदूषण को दुनिया भर में चौथा सबसे बड़े कारण (मृत्यु के 286 अलग-अलग कारणों में) के रूप में इंगित किया, जो 2019 में लगभग 6.67 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है। उस स्टडी में पाया गया था कि 2019 में भारत में लगभग 6.1 लाख मौतों को घरेलू वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
अपने रिसर्च में अजय नागपुरे की टीम ने उन घरों से भी प्रदूषण के प्रभाव को शामिल किया जिनके यहां एलपीजी कनेक्शन था, लेकिन वे पारंपरिक बायोमास ईंधन का भी उपयोग कर रहे थे। उसी पद्धति का इस्तेमाल करते हुए नागपुरे की टीम ने अनुमान लगाया कि अगर बायोमास के इस तरह के इस्तेमाल को भी ध्यान में रखा जाए, तो 2019 में इनडोर वायु प्रदूषण से संबंधित मौतें बढ़कर 10.2 लाख हो सकती थीं। साथ ही इस स्टडी में यह भी सामने आया कि उज्ज्वला के न होने की स्थिति में मौतों की यह संख्या 11.7 लाख तक हो सकती थी। इस तरह, उज्ज्वला एक वर्ष में इनडोर वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 13 प्रतिशत की कमी ला सकती है।
उज्ज्वला योजना के तहत, बड़े पैमाने पर ग्रामीण महिलाओं को गैस सिलेंडर और चूल्हा मुफ्त में वितरीत किया गया था। 10 अगस्त 2021 को उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत महोबा से की गई थी।
