‘मां और पिता का ख्याल रखना। उन पर काम का ज्यादा बोझ न डालना। हां, अपनी पढ़ाई और परीक्षा का भी ध्यान रखना’। ये वो शब्द थे जो उधमपुर के आतंकी हमले में शहीद बीएसएफ के जवान रॉकी ने बड़े भाई रोहित से फोन पर आखिरी बातचीत में सोमवार की रात कहे थे। रॉकी की बहन रोते हुए कह रही थी कि भाई ने राखी पर घर आने का वादा किया था। देश से किए वादे को पूरा करने के लिए वे अपनी बहन से किया वादा पूरा नहीं कर पाए।

रॉकी का शुक्रवार को उनके पैतृक गांव यमुनानगर जिले के रामगढ़ माजरी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ ‘शहीद अमर हो’ के नारों के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी चिता को भाई रोहित ने अग्नि दी। इस मौके पर बीएसएफ महानिरीक्षक (डीआइजी) एके गुलिया, जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवरपाल सिंह ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। सिंह के अलावा कोई अन्य वरिष्ठ नेता या सरकार के लोग वहां मौजूद नहीं थे।

रोहित ने बताया कि बुधवार को परिवार को सूचना मिली कि रॉकी ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए हैं। उनके मुताबिक, ‘हमें बताया गया कि उन्होंने कई साथियों की जान बचा ली और आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगा दी। परिवार के लिए दुख भरी सूचना थी हालांकि हमें गर्व भी महसूस हुआ कि हमारे भाई ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी’। रोहित ने कहा कि मां ने अपना बेटा खो दिया लेकिन परिवार के सदस्य जब देश की दृष्टि से देखते हैं तो बहुत गर्व महसूस करते हैं। ‘उसने बहुत से लोगों की जान बचा ली और अपनी परवाह नहीं की।’

पांच अगस्त को जब गोला बारूद से लैस दो आतंकवादियों ने उधमपुर के पास श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बीएसएफ की टुकड़ी पर हमला किया था तो रॉकी ने जवाबी फायरिंग कर उन्हें उलझाए रखा। उनकी गोली से एक आतंकवादी मारा गया। रॉकी के कारण 44 बीएसएफ जवानों की जान बच गई जिनके पास हथियार भी नहीं थे और बस में सवार थे। रॉकी को मुकाबले के दौरान गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए। उनकी पार्थिव देह गुरुवार को यमुनानगर लाई गई थी।

एक दलित परिवार में जन्मे रॉकी के पिता प्रीत पाल और मां अंग्रेजो छोटी किसानी करके गुजारा चलाते हैं। रॉकी की पार्थिव देह जैसे ही घर पहुंची मां की रुलाई फूट गई। गांव के लोग वहां जमा हो गए और रॉकी के दुखी परिजनों को संभाला। रॉकी बीएससी कर रहे थे। लेकिन 2012 में बीएसएफ में बहाली के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई।

रोहित ने बताया कि रॉकी उनसे छोटे थे, लेकिन उनमें ज्यादा समझदारी थी और उन्हें भी सलाह दिया करते थे। ‘वह हमेशा मुझे एसएससी की परीक्षा के लिए प्रेरित करता रहता था। अभी जून में ही वह 15 दिन की छुट्टी पर आया था और कह गया था कि दीवाली तक घर की मरम्मत कर देंगे’। भाई के मुताबिक रॉकी को फिल्में देखना अच्छा लगता था और ‘टैंगो चार्ली’ उसकी पसंदीदा फिल्म थी।

रॉकी के परिजनों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि गांव में शहीद रॉकी की प्रतिमा स्थापित की जाए और उनके नाम से गेट बनाया जाए। साथ ही गांव को आदर्श गांव का दर्जा दिया जाए। इस बीच हरियाणा सरकार ने रॉकी के एक परिजन को नौकरी देने का एलान किया है। शहीद के परिवार को 20 लाख रुपए भी दिए जाएंगे।