महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने के बाद से उद्धव ठाकरे बीते 10 दिनों में पांच केस वापस ले चुके हैं। ताजा मामला मराठा आंदोलन से जुड़ा है। दरअसल उद्धव ठाकरे सरकार ने अपने एक फैसले के तहत स्थानीय अदालतों को सिफारिश की है कि वह मराठा आंदोलन के दौरान दर्ज 288 केसों को खारिज कर दें। ठाकरे सरकार के इस फैसले से मराठा समुदाय के करीब 3000 युवाओं को फायदा होगा। बता दें कि सीएम बनने के बाद से उद्धव ठाकरे कई जनहितकारी फैसले लिए हैं।

इनमें मेट्रो कार शेड के खिलाफ आंदोलन, नानर ऑयल रिफाइनरी प्रोजेक्ट, कोरेगांव-भीमा हिंसा, किसान आंदोलन और अब मराठा आंदोलन से जुड़े मसले शामिल हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, तीन केस अपर्याप्त दस्तावेजों के चलते अटके हुए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मराठा आंदोलन से जुड़े 35 केस वापस नहीं लिए जा सकते क्योंकि इनमें विरोध प्रदर्शन के चलते करीब 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ। कुछ मामलों में पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी को भी चोटें आयीं।

माना जा रहा है कि सरकार द्वारा इतनी बड़ी संख्या में केस वापस लेने के चलते 3000 युवाओं को फायदा मिलेगा। सरकार ने एसपी और पुलिस कमिश्नर द्वारा स्थानीय अदालतों को सिफारिश भिजवायी है। अब इस पर फैसला लेना कोर्ट पर निर्भर है।

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने हाल ही में कहा था कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार कोरेगांव-भीमा हिंसा से जुड़े मामलों में गलत तरीकों से फंसाए गए लोगों को राहत देने के पक्ष में है। सरकार ने नानर ऑयल रिफाइनरी से जुड़े विरोध प्रदर्शन में भी 23 मामले वापस लेने का फैसला किया है।