दिल्ली दंगा मामले में आरोपी तथा पिंजरा तोड़ समूह की सदस्य देवांगना कलीता को दंगों से जुड़े मामले में मई में गिरफ्तार किया था। कड़कड़डूमा कोर्ट ने गुरुवार को देवांगना कलिता की जमानत खारिज कर दी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने गुरुवार को दिए अपने आदेश में कहा कि कलिता के खिलाफ लगाए गए आरोप सही प्रतीत होते हैं।

सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर साजिश के मामले में वीडियो फुटेज का न होना इतना अहम नहीं है, क्योंकि आमतौर इस तरह की साजिश गुप्त रूप से रची जाती हैं। संदेह के बजाय यह स्पष्ट है कि इस तरह की साजिश का कोई वीडियो नहीं होगा। आरोपपत्र में पुलिस ने दावा किया था कि फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कलीता ने हिंसा के लिए लोगों को भड़काया था।

पुलिस के मुताबिक नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करने जहांगीरपुरी से जाफराबाद पहुंची 300 महिलाओं को कथित तौर पर देवांगना कलीता ने भड़काया था और ये महिलाएं अपने साथ हथियार, तेजाब के बोतलें और मिर्च पावडर लाई थीं।

देवांगना कलिता के अलावा नताशा नारवाल पर भी पुलिस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों को पुलिस ने मई में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अगले दिन दोनों को जमानत दे दी गई थी, लेकिन उसके तुरंत बाद उन्हें एक दूसरी एफआईआर के तहत दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

बता दें उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीएए समर्थकों व विरोधियों के बीच टकराव होने के बाद 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे जबकि 200 से ज्यादा जख्मी हुए थे। पिंजरा तोड़ समूह 2015 में बनाया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य छात्रावास तथा पीजी में छात्राओं पर लगने वाली पाबंदी का विरोध व उन्हें कम करवाना था।