गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (दो अगस्त, 2019) को आतंकवाद और नक्सलवाद पर संसद में जबरदस्त भाषण दिया। यूएपीए बिल पर चर्चा के दौरान उच्च सदन राज्यसभा में उन्होंने कहा कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने जुलाई तक 278 मामले दर्ज किए, जबकि 204 में चार्जशीट दर्ज हुई और इनमें 54 में फैसला भी हो गया।

दरअसल, शाह ने काफी सदस्यों द्वारा ढेर सारे पेंडिंग केस होने और सजा का प्रमाण न होने के उल्लेख पर कहा- इन्होंने सदन के सामने दो किस्म के आंकड़े मिलाकर पेश किए। ये एक्ट राज्य भी इस्तेमाल कर सकते हैं और एनआईए भी यूज कर सकती है, जो कुल आंकड़े दे दिए इन्होंने…हर राज्य का आंकड़ा भी शामिल है और एनआईए के आंकड़े भी हैं।

एनआईए के आंकड़े बताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 31 जुलाई 2019 तक एनआईए ने 278 कानून के तहत पंजीकृत किए। इनमें से 2014 में आरोप पत्र दायर किया गया और कुल 54 में अब तक फैसला आया है, जिनमें 48 में सजा हुई है। सजा का दर 91 फीसदी है और मैं गर्व से कह सकता हूं कि दुनिया भर की एजेंसियों में अपनी एनआईए की सजा देने का दर सबसे ज्यादा है।

उन्होंने आगे बताया- कुल 221 आरोपियों को सजा हुई, जबकि कोर्ट ने 92 को दोषमुक्त किया गया। जो चार्जशीट का मामला है, उसमें भी एक जून 2014 से जुलाई 2019 तक 198 में 131 में चार्जशीट दायर हो चुकी है। ऐसे में यह दलील किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है कि कानून सिर्फ बनाने की प्रक्रिया है और इसका मकसद आतंक को रोकने के लिए नहीं होता। सुनिए और आगे क्या बोले गृह मंत्रीः

बता दें कि मोदी सरकार को आतंकवाद से जुड़े इस महत्वपूर्ण विधेयक को कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों की आपत्तियों के बाद भी राज्यसभा से पास कराने में शुक्रवार को सफलता मिल गई। यूएपीए बिल, किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और आतंकवाद की जांच के मामले में एनआईए को संपत्ति जब्त करने से सहित कई अधिकार दिए गए हैं।