विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को बताया कि पाकिस्तान से महीने भर पहले भारत लौटी गीता के माता-पिता की तलाश के दौरान दो और परिवारों ने उसके परिजन होने का दावा किया है। लेकिन इस मूक..बधिर लड़की ने इनमें से एक परिवार की तस्वीरें पहचानने से इनकार कर दिया है। गीता इन दिनों इंदौर के ‘मूक..बधिर संगठन’ के आवासीय परिसर में रह रही है। इस परिसर में गीता से भावपूर्ण मुलाकात के बाद सुषमा ने कहा कि हम गीता के माता-पिता को जल्द से जल्द तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।

इस बीच, बिहार के एक मुसलिम परिवार समेत दो परिवारों ने गीता के परिजन होने का दावा किया है। विदेश मंत्री ने बताया कि उन्होंने सोमवार को गीता को दोनों दावेदार परिवारों की तस्वीरें दिखाई। इनमें शामिल मुसलिम परिवार की तस्वीरों को देखते ही उसने इस परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि दूसरे परिवार के बारे में गीता ने कहा कि वह इत्मीनान से तस्वीरें देखकर इस परिवार को पहचानने की कोशिश करेगी।

सुषमा ने बताया कि इन दोनों परिवारों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब के चार परिवारों ने गीता के परिजन होने का दावा किया था। लेकिन उनका यह दावा साबित नहीं हो सका। इन परिवारों में बिहार के जनार्दन महतो का परिवार शामिल है, जिसका डीएनए नमूना गीता के डीएनए नमूने से मेल नहीं खाया। विदेश मंत्री ने गीता को दुलारते हुए कहा कि मेरी तलाश तब तक बंद नहीं होगी, जब तक मैं गीता को उसके माता-पिता से मिलवा नहीं देती। मैं इस मामले में आशावादी हूं। मुझे भरोसा है कि इस लड़की के माता-पिता मिल जाएंगे।

सुषमा ने किसी का नाम लिए बगैर उन आलोचकों को भी जवाब दिया, जो गीता को इंदौर में मूक..बधिरों के लिए चलाई जा रही संस्था में रखे जाने के बारे में सरकार के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस बारे में पूछते हैं कि हमने गीता को पाकिस्तान की एक संस्था (ईधी फाउंडेशन) से लाकर भारत की एक संस्था में भेज दिया। लेकिन इस लड़की के पाकिस्तान की संस्था में रहने और उसके अपने वतन की संस्था में रहने में जमीन आसमान का फर्क है।

विदेश मंत्री ने कहा कि गीता पाकिस्तान की जिस संस्था में रहती थी, वह मूक बधिरों के लिए संचालित संस्था नहीं है। इंदौर में मूक बधिरों के लिए चलाई जा रही संस्था में अपने जैसे नौजवानों के साथ रहकर उसमें इस बात का भरोसा जगेगा कि बोलने और सुनने की क्षमता के बगैर भी वह स्वावलंबी बन सकती है और अच्छी जिंदगी जी सकती है। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि गीता ने मुझे महात्मा गांधी और भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा दिखाते हुए इशारों की जुबान में बताया कि उसका स्वदेश लौटना बेहद जरूरी था और अब वह पाकिस्तान जाना नहीं चाहती। हालांकि, वह ईधी फाउंडेशन के लोगों के प्रति आदर का भाव जताती है। विदेश मंत्री ने गीता की स्वदेश वापसी में मदद के लिए पाकिस्तान सरकार और ईधी फाउंडेशन का शुक्रिया अदा किया।

सुषमा ने कहा कि गीता के भारतीय नागरिक साबित होने के बाद पाकिस्तान ने बगैर किसी हीलाहवाली के हमें उसे भारत लाने की इजाजत दे दी। ईधी फाउंडेशन ने भी मानवता की मिसाल कायम करते हुए गीता का अच्छी तरह ख्याल रखा। इस संस्था ने उसकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए उसे हिंदू देवी देवताओं के पूजा पाठ की सहूलियत मुहैया कराई और उसे उसकी पसंद के मुताबिक शाकाहारी भोजन परोसा।

भारत में गीता के माता-पिता की अब तक तलाश नहीं हो पाने के बारे में पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी की ओर से उठाए गए सवालों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने दो टूक कहा- मैं बर्नी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। मैं गीता के माता-पिता की तलाश के बारे में अपनी कोशिशों की पहले ही तफसील से जानकारी दे चुकी हूं। गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। उसे ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था। पाकिस्तान में दशक भर से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद गीता 26 अक्तूबर को भारत वापस लौटी थी।

इसके अलावा सरकार अलीगढ़ के युवक सलमान को भी इस पड़ोसी मुल्क से वापस लाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सुषमा ने बताया कि वे सलमान के मामले में आगे बढ़ रही हैं। मैंने अधिकारियों को इस युवक के मामले में तथ्यों की जांच करने का निर्देश दिया है। अगर संबंधित तथ्य सही निकले, तो हम उसे भारतीय वीजा देकर स्वदेश ले आएंगे। उन्होंने बताया कि भारत वापसी को इच्छुक सलमान का कहना है कि जब वह बच्चा था, तब उसकी मां उसे पाकिस्तान में रहने वाले नाना-नानी के पास छोड़ आई थी। उसके मुताबिक अब उसके नाना-नानी की मौत हो चुकी है और पाकिस्तान में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। हम इन बातों की पुष्टि की कोशिश कर रहे हैं।
सुषमा ने रविवार को भोपाल में 15 वर्षीय पाकिस्तानी किशोर रमजान से भेंट की थी। यह किशोर पिछले दो वर्ष से भोपाल के एक बाल गृह में रह रहा है। रमजान मामले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उसे पाकिस्तान भेजने में हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अब यह पाकिस्तान को तय करना है कि वह उसका नागरिक है या नहीं। अगर पाकिस्तान रमजान को अपना नागरिक स्वीकार कर लेता है तो हम उसकी वतन वापसी में पूरी मदद करेंगे।