महाराष्ट्र में एनसीपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एनसीपी के नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह से एक के बाद एक नेताओं के पाला बदलने से पार्टी प्रमुख शरद पवार की चिंताएं बढ़ गई हैं। पवार पर पार्टी को एकजुट रखने की चुनौती है।
हालांकि, पवार अभी तक इस चुनौती से पूरी तरह से निपटने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। शनिवार को शरद पवार के दो करीबी नेताओं ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की। ये नेता एनसीपी को छोड़कर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में पदमसिंह पाटिल और उनके बेटे राणाजगजीत सिंह पाटिल शामिल हैं।
पदमसिंह पाटिल महाराष्ट्र के मंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें एनसीपी चीफ शरद पवार का काफी करीबी माना जाता है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता पदमसिंह पाटिल की बहन की शादी शरद पवार के भतीजे अजीत पवार से हुई है। शनिवार को अपने पिता की मौजूदगी में जगजीतसिंह ने ओसमानाबाद में घोषणा की कि वह अपने पिता के साथ भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं।
पाटिल ने कहा कि वे ऐसा ओसमानाबाद क्षेत्र में विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ने के लिए कर रहे हैं। एनसीपी छोड़ने की घोषणा के साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनके मन में शरद पवार के लिए बहुत सम्मान है। इससे पहले इस खबर के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार पत्रकार पर गुस्सा हो गए।
पत्रकार ने पवार से उनके रिश्तेदार के पार्टी छोड़ने के बारे में पूछा था। पवार ने ‘रिश्तेदार’ शब्द के प्रयोग पर नाराजगी जताते हुए उस पत्रकार से माफी मांगने और मीडिया ब्रीफ्रिंग से चले जाने को कहा। पवार ने कि यहां रिश्तेदार का सवाल कहां से आया? आप जो कह रहे हैं, वह गलत है।
राजनीति में रिश्तेदारों का सवाल कहां से आया?’ इससे पहले विकास के नाम पर पार्टी छोड़ने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि जो नेता पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं, पिछले 10-15 साल से उनका ‘विकास’ इसी पार्टी में हुआ है। अब शायद वे और विकास चाहते हैं। बीजेपी और शिवसेना ने उन लोगों को विकास हासिल करने का कोई रास्ता बता दिया होगा।