Indian Air Force Aerial Strike: भारतीय वायुसेना ने मंगलवार की अहले सुबह लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया तथा जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट, मुजफ्फराबाद और चकोटी स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस हमले में सैंकड़ों आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है। बालाकोट ठिकाना का प्रबंधन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के साले यूसूफ अजहर द्वारा किया जाता था। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में लिखा है, “भारतीय रणबांकुरे 90 सेकंड में दुश्मन के ठिकाने तबाह कर लौट आए। किसी का बाल भी बांका न हुआ।” यह कार्रवाई जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर किए गए हमले के दो सप्ताह के भीतर की गई। बता दें कि पुलवामा हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए थे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, एयरफोर्स द्वारा किए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से करीब 80 किलोमीटर दूर बालाकोट में किए गए हमले में करीब 300 आतंकी मारे गए। इस हमले को अंजाम देने के लिए एयरफोर्स के 12 मिराज 2000 फाइटर प्लेन ने सुबह करीब 3:30 में नियंत्रण रेखा को पार किया और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए 1000 किलोग्राम के लेजर गाइडेड बम गिराए। पहाड़ी पर घने जंगलों के बीच स्थित बालाकोट ठिकानों पर छह बम गिराए गए। इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने में एक मिनट और 30 सेकेंड का वक्त लगा।

बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी शिविर पाकिस्तान में सबसे बड़ा ट्रेनिंग कैंप था। इसका संचालन जैश के प्रमुख मसूद अजहर का साला यूसूफ अजहर करता था। सरकार ने कहा कि इस ठिकाने की पहचान भारतीय खुफिया विभाग द्वारा की गई और यह आम नागरिकों के रहने वाले जगह से काफी दूर था। सरकार ने यह भी बताया कि विश्वसनीय सूत्रों से यह पता चला था कि जैश-ए-मोहम्मद इस आतंकी शिविर में फियादीन आतंकियों को प्रशिक्षण दे रहा था तथा उसकी तैयारी कई अन्य आत्मघाती हमलों की थी।

इस पूरे मामले पर विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, “आगामी खतरे को देखते हुए यह स्ट्राइक बेहद ही जरूरी था। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, प्रशिक्षक, सीनियर कमांडर और आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण ले रहे जिहादी मारे गए।” यहां यह भी बता दें कि वर्ष 1971 के बाद यह पहली बार है जब भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा को पार किया है।