जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, तब पाकिस्तान के साथ तुर्की और अजरबैजान खुलकर खड़ा हो गया। इसके बाद से भारत में तुर्की का बॉयकॉट शुरू हो गया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और उसने भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराए थे। इसके बाद से भारत में तुर्की का बॉयकॉट शुरू हो गया और कई कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो गया। इस बीच देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने भी तुर्की के शैक्षणिक संस्थानों से कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए हैं।
भारतीय संस्थानों ने किया एजुकेशन स्ट्राइक
नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने भी तुर्की के संस्थानों से MoU खत्म कर दिया है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी को लेकर खबर है कि इसने तुर्की और अजरबैजान की 23 शैक्षणिक संस्थानों से संबंध तोड़ लिए हैं। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी तुर्की से शैक्षणिक संबंध खत्म कर लिए हैं।
शारदा यूनिवर्सिटी ने लिया बड़ा फैसला
शारदा यूनिवर्सिटी ने तो एक प्रेस रिलीज जारी किया, जिसमें उसने बताया कि उसने यह फैसला राष्ट्रहितों को देखते हुए लिया है। हर साल तुर्की से सैकड़ो छात्र शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए आते हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को भी बढ़ावा दिया जाता है।
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बता दें कि बड़ी संख्या में लोग तुर्की घूमने भी जाते हैं। ऐसे में तुर्की को हजारों करोड़ रुपये का फायदा टूरिज्म से होता है। बड़ी संख्या में भारतीय टूरिस्ट तुर्की घूमने के लिए जाते हैं। बता दें कि कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन ने भी तुर्की और अजरबैजान के साथ सभी व्यापारिक संबंधों को खत्म करने का आवाहन किया है। इस संगठन की बैठक हुई जिसमें 125 से अधिक बिजनेस लीडर्स ने इसमें हिस्सा लिया और तुर्की का बॉयकॉट करने का फैसला किया।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और फिर तहस नहस कर दिया। लेकिन भारत की आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की तुर्की ने निंदा की थी और उसने पाकिस्तान को समर्थन दिया था। इसके बाद जब पाकिस्तान की ओर से हमले का प्रयास हुआ, तो उसने तुर्की के ड्रोनस का इस्तेमाल किया, जिसके बाद से तुर्की को लेकर भारत का रुख सख्त है।