NDRF in Turkey: तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान राहत और बचाव अभियान के लिए भारत से भेजे गए एनडीआरएफ के जवान लगातार शानदार काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला तुर्की के गजियांटेप प्रांत के नूरदगी इलाके में सामने आया। वहां, पूरे दिन और पूरी रात बर्फीली हवाओं के बीच काम कर रही एनडीआरएफ टीम ने मृतकों की तलाश के लिए कंक्रीट स्लैब में ड्रिलिंग छेद करने के दौरान अपने कुत्ते जूली के भौंकते हुआ तीन मंजिला इमारत के मलबे की तरफ लपकते देखा। बचाव दल ने उसका पीछा किया और लगभग तीन घंटे बाद की कड़ी मशक्कत के बाद सब खुशी से एक साथ चीख पड़े,’यहां एक बच्चा जीवित है।’
NDRF के लिए चमत्कार जैसा वाकया
भूकंप प्रभावित तुर्की के गजियांटेप प्रांत के नूरदगी में तैनात भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के जवानों के लिए यह एक ‘चमत्कार’ था। तुर्की में एनडीआरएफ दल के नेता कमांडेंट गुरमिंदर सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “छह साल की बच्ची को मलबे से बाहर निकाला गया और स्थानीय अधिकारियों को सौंप दिया गया, जिन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया … भूकंप के 80 घंटे हो चुके थे। हम 7 फरवरी को यहां आने के बाद से लगातार काम पर थे। हमें मृतकों के अलावा कुछ भी नहीं मिला था … अब हम एक चमत्कार देख रहे थे।”
तुर्की में NDRF की तीन टीम तैनात, साथ ले गए हैं चार प्रशिक्षित कुत्ते
NDRF की तुर्की में तैनात तीन टीम में 151 कर्मी हैं। उनमें चार प्रशिक्षित कुत्तों को भी शामिल किया गया है। 6 साल की लड़की को बचाने वाली 18 सदस्यीय टीम उनमें से एक थी। यह टीम गजियांटेप में तैनात दो टीम में से एक है। तुर्की में आए भूकंप के केंद्र से लगभग 23 किमी दूर स्थित नूरदगी में लगभग 600 इमारतें पूरी तरह से ढह गई थी। एनडीआरएफ की दूसरी टीम तुर्की के हटे प्रांत में है।
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छह साल की बच्ची को बचाना सबसे बेहतर क्षण
कमांडेंट सिंह ने कहा कि टीम के सामने स्थानीय निवासियों की गर्मी को बचाने की भी चुनौती है। वहां के भूकंप पीड़ित “ कूड़ेदानों के पास, बाहर खुले में कड़कड़ाती ठंड में घंटों बैठते हैं। कोई घबराता या उत्तेजित नहीं होता। यहां तक कि जब हम मुर्दों को ढूंढते हैं, तो वे आते हैं और हमें गले लगाते हैं और हमारे हाथों को चूमते हैं..वे हमें ‘हिंदुस्तानी’ कहते हैं।’ उन्होंने कहा कि राहत-बचाव अभियान के दौरान छह साल की बच्ची को बचाने का वक्त अब तक का सबसे बेहतर क्षण रहा है।
ऐसे मलबे में मिली 6 साल की जिंदा बच्ची
सिंह के मुताबिक सुबह करीब नौ बजे जूली के भौंकने से टीम को अलर्ट किया गया। इसके बाद बचावकर्मियों ने मलबे को हटाना शुरू किया। दो घंटे के बाद एक 75 वर्षीय महिला का शव मिला। इससे लगा कि पास में ही मृत या जीवित उसका परिवार हो सकता है। एक घंटे बाद एनडीआरएफ के सब-इंस्पेक्टर बिंताओ बोरिया को एक जोड़े के शव मिले। सिंह ने कहा, “महिला का शरीर किसी चीज पर मुड़ा हुआ लग रहा था।” “जैसे ही बोरिया ने शरीर को हिलाया, वहां छह साल की एक बच्ची को पाया। उसकी आंखे बंद थीं। जांच करने पर उन्होंने बच्ची की पलकों के नीचे हलचल का पता लगाया। तब बोरिया ने चिल्ला कर कहा, ‘यहां एक बच्ची जीवित है।’
चार कुत्तों के NDRF कमांडेट ने दिया क्रेडिट
अगले दिन, एनडीआरएफ ने एक 13 वर्षीय लड़की को भी जिंदा बाहर निकाला। उसे तुर्की सेना के जवानों ने आठ मंजिला इमारत के मलबे में ढूंढा था। इन दो लोगों के अलावा एनडीआरएफ ने मलबे से 28 शवों को बाहर निकाला है। सिंह ने कहा, “इस बचाव के दौरान हमारी सारी सफलता उन चार कुत्तों की बदौलत है, जिन्हें हम यहां लाए हैं।”
