पिछले साल नवंबर में टीटीपी ने जून 2022 में सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम समझौते को रद्द कर दिया था और अपने आतंकवादियों को सुरक्षाबलों पर हमले करने का हुक्म दिया था। टीटीपी के अल-कायदा से करीबी संबंध हैं। उसने धमकी दी थी कि अगर सत्तारूढ़ गठबंधन आतंकवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाना जारी रखता है, तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पीएमएल-एन और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी की पीपीपी के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाया जाएगा।
इस खूंखार संगठन ने कहा कि उसने सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता खत्म नहीं किया है। ‘डान’ अखबार ने एक वीडिओ में टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के हवाले से कहा, ‘हमने अफगानिस्तान की मध्यस्थता में पाकिस्तान के साथ वार्ता की थी। हम संघर्ष विराम समझौते के लिए अब भी तैयार हैं।’ एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, वीडिओ संदेश में महसूद ने कहा कि अगर पाकिस्तान के धार्मिक विद्वानों को लगता है कि हमारी जिहाद की दिशा गलत है तो उनका संगठन इन विद्वानों द्वारा ‘मार्गदर्शन किए जाने के लिए तैयार’ है।
महसूद की ये टिप्पणियां पाकिस्तान में बढ़ती हिंसा के बीच आई हैं। पाकिस्तान पुलिस ने शनिवार को पंजाब प्रांत में खुफिया अभियान के दौरान टीटीपी के पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। दक्षिण वजीरिस्तान के मुख्यालय वाना में शुक्रवार को 5,000 से अधिक स्थानीय लोगों ने अपने इलाकों में बढ़ती हिंसा, आतंकवाद और अपहरण के खिलाफ रैली निकाली थी।
महसूद के इस बयान से पहले पाकिस्तान व अफगानिस्तान के बीच इस संगठन की गतिविधियों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। इसकी एक बड़ी वजह गैर कानूनी घोषित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बढ़ते हमले हैं। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान का तालिबान शासन किसी सशस्त्र संगठन को अपनी धरती का पाकिस्तान या किसी भी दूसरे देश के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत न दें जबकि तालिबान शासकों का कहना है कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है वह वहां की अपनी आंतरिक समस्या है।
पाकिस्तान में हिंसा की बढ़ती घटनाओं का मुद्दा वहां की कोर कमांडर कांफ्रेंस में उठा। उसके बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में भी चिंता जताई गई। इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि पाकिस्तान किसी भी देश को अपनी धरती किसी गिरोह द्वारा आतंकवादियों की शरणस्थली के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। पाकिस्तान अपनी जनता की सुरक्षा का अधिकार रखता है।
इस बैठक को लेकर एक जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री राना सनाउल्लाह ने एक बयान में कहा था कि अगर तालिबान शासक अफगानिस्तान में टीटीपी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करते तो फिर अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पाकिस्तान वहां कार्रवाई का अधिकार रखता है। सनाउल्लाह के बयान को अफगानिस्तान ने भड़काऊ बताया। इस बारे में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया था कि अफगानिस्तान अपनी धरती की रक्षा करना जानता है।
पाकिस्तान से साथ बढ़ती खटास को लेकर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, हम पाकिस्तान समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे पड़ोसी के तौर पर बेहतर संबंध चाहते हैं और उन सभी संसाधनों और स्रोतों पर विश्वास रखते हैं जो इस लक्ष्य तक हमें पहुंचा सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक, टीटीपी को लेकर दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों में अप्रिय मोड़ दिख रहा है। पाकिस्तान को इस समय अपनी ही नीतियों की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। अफगान तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया है। वहां सेना संगठित नहीं है। अफगान तालिबान ने जबसे सत्ता संभाली है, वहां कई समस्याएं पैदा हुईं हैं।
उनको दुनिया में मान्यता नहीं दी गई और उनकी मुश्किलें बढ़ती गर्इं। अतीत के उलट इस बार पाकिस्तान ने भी उन्हें मान्यता नहीं दी जिस वजह से अफगान तालिबान को भी निराशा हुई। पाकिस्तान सरकार पर वहां के रक्षा विशेषज्ञों का दबाव बढ़ रहा है कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान से बात करनी चाहिए थी और उनसे कहना चाहिए कि वह टीटीपी की अफगानिस्तान की शरणस्थलियों को खत्म करें और उन सभी तत्वों को पाकिस्तान के हवाले कर दें।
प्रत्यक्ष रूप में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भारी तनाव का कारण अवैध घोषित संगठन तहरीक-ए-तालिबान के बढ़ते हुए हमले हैं। पहले भी जब अफगानिस्तान में हामिद करजई और फिर अशरफ गनी की सरकार थी तो उन दिनों में भी पाकिस्तान की ओर से बार-बार यही कहा जाता रहा कि पाकिस्तान में हमलों के लिए अफगानिस्तान की धरती इस्तेमाल हो रही है और यह कि हमलावर अफगानिस्तान से आकर पाकिस्तान में हमले करते हैं। पाकिस्तान में सरकार ने आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला और दूसरे बड़े हमलों के बारे में भी यही कहा था कि हमलावर अफगानिस्तान से आए थे। इसके विपरीत अफगानिस्तान का कहना था कि हमलावर पाकिस्तान के अंदर ही मौजूद हैं।
बदल गई स्थिति
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले 40 साल से दोनों देशों के बीच जो सिलसिला जारी था, स्थिति अब उससे बिल्कुल अलग है। अफगानिस्तान पर जब रूस ने हमला किया था तो उसके बाद से पाकिस्तान से लोग जाकर लड़ते रहे। अब भी ये हालात हैं। अफगानिस्तान लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान से लोग आकर कार्रवाई करते हैं लेकिन पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा है।