Tsunami 26 December 2004: रूस में एक जोरदार भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। बुधवार को रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.7 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप के बाद जापान, रूस और प्रशांत द्वीपों में सुनामी की वॉर्निंग जारी कर दी गई है। हालांकि, 26 दिसंबर 2004 का दिन भी इतिहास में भयानक त्रासदी के रूप में दर्ज है। इस दिन हिंद महासागर में आए भूकंप और उसके कारण आई सुनामी ने भारत सहित 14 देशों में भारी तबाही मचाई। इसने 2,27,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। बचे हुए लोगों को भारी नुकसान, आघात और आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा।
अब बात करें सुनामी की तो उत्तरी सुमात्रा में इंडोनेशियाई प्रांत आचे के पश्चिमी तट के करीब महासागर के गहरे नीचे सुंडा ट्रेंच में 9.1 तीव्रता का बहुत तेज भूकंप आया। यह काफी बड़े भूकंपों में से एक माना जाता है। इस भूकंप की वजह से हिंद महासागर के नीचे सबसे लंबी फॉल्टलाइन टूट गई थी। कुंछ ही सेंकड के अंदर सुनामी की बहुत ही तेज लहरें उठीं। यह 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बाहर की तरफ फैलीं। जैसे ही ये तटों से टकराईं, इनकी ऊंचाई तेजी से बढ़ती गई। इन लहरों ने 14 देशों में तबाही मचा दी। पानी ने शहरों और गांवों को निगल लिया, हजारों घर बर्बाद हो गए।
रूस के कामचटका में 8.7 तीव्रता का भूकंप
तमिलनाडु में देखने को मिला सबसे ज्यादा असर
भारत में अगर सबसे ज्यादा असर इस सुनामी का कहीं देखने को मिला था तो वह तमिलनाडु में था। यहां पर करीब 8 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। वहीं अंडमान-निकोबार में 3 हजार 515 मौते हुईं। इसके अलावा पुड्डुचेरी में 599, केरल में 177 और आंध्र प्रदेश में 107 मौतें हुईं। पड़ोसी देश श्रीलंका में 13 और मालदीव में 1 भारतीय की मौत हुई। कुल 14 देशों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,27,000 से ज्यादा पहुंच गई थी।
प्रोफेसर ने याद किया मंजर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कन्याकुमारी जिले के पल्लमथुराई के प्रोफेसर ने बताया, ‘सुबह होते-होते, आपदा की खबर फैल गई थी, लेकिन इसका पैमाना समझ से परे था। किल मनक्कुडी, कोट्टिलपाडु और कोलाचेल जैसी जगहों से तबाही की खबरें आ रही थीं।’ मनक्कुडी के एक मछुआरे बेस्ची एंटनी रेयान ने याद करते हुए कहा, ‘यह पानी की एक दीवार की तरह था जो किनारे की ओर बढ़ रही थी। इसने पुल तोड़ दिया। जब पानी कम हुआ, तो यह समुद्र में फंसी हुई सभी चीजों को वापस लेकर आ गया। इसमें पुरुष, महिलाएं, बच्चे और मलबा हैं। पांच मिनट में सब कुछ खत्म हो गया।’ इसके बाद का मंजर काफी दर्दनाक था। कई दिन बीत गए, तब जाकर शवों को ढूंढा और दफनाया जा सका। भूकंप के तेज झटके फिर सुनामी… मंजर देख लगेगा डर