विनायक दामोदर सावरकर यानी वीडी सावरकर को भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमेशा से ही स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी के तौर पर मानती आई है। एक समय वाजपेयी सरकार ने भी सावरकर को ‘भारत रत्न’ बनाना चाहा था। अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत रत्न के लिए वीर सावरकर की सिफारिश भी की थी लेकिन यह सिफारिश इतिहास के पन्नों में दफ्न होकर रह गई।

अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के पास सावरकर को भारत रत्न देने संबंधी फाइल भेजी थी लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ने इस फाइल को साइड कर दिया था। सावरकर को भारत रत्न ना मिलने की पीछे जो वजह बताई जाती है उसे लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि के आर नारायणन, सावरकर को भारत रत्न दिये जाने के खिलाफ थे।

साल 1992 में नारायणन ने मस्जिद विवाद को महात्मा गांधी की हत्या के समान बताया था। उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि यह एक निश्चित तौर से यह एक बड़ी ट्रैजडी है और हमें यह याद रखना चाहिए कि जिन्होंने मस्जिद विध्वंस का आनंद लिया वहीं लोग वीडी सावरकर का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं। वीडी सावरकर जो हिंदू महासभा के कट्टरवादी मोर्चे का नेतृत्व करते हैं जो महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार है।

जिस वक्त बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था उस वक्त सभी लोगों ने एक सुर में इस घटना को कानून का प्रबल उल्लंघन माना था। जिस जमीन पर मस्जिद बनी थी उस जगह पर जिस तरह से लोगों ने हिंसा की और सुप्रीम कोर्ट को इसमें कोई विरोधाभास नजर नहीं आया। इसलिए वो राम मंदिर बना सके।

साल 2000 में शहनाई वादक उस्ताब बिस्मिल्लाह खान का नाम भारत रत्न के लिए आगे बढ़ाया गया था। उस वक्त वाजपेयी सरकार इसपर राजी हो गई थी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने सावरकर का नाम भारत रत्न के लिए बढ़ाया, जिसका  पूर्व राष्ट्रपति ने विरोध तो नहीं किया लेकिन उन्होंने इसकी फाइल को एक कोने में रख दिया और चुप्पी साध ली।

साल 2001 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर उनकी मुलाकात अटल बिहारी से हुई थी तब उन्होंने कहा था कि सावरकर का नाम हटा दिया गया है।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में वादा किया था कि सरकार बनने के बाद सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।