बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज करते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा कि टीआरपी घोटाले में दासगुप्ता की अहम भूमिका थी। सोमवार को अदालत ने दासगुप्ता को रिहाई देने से इंकार कर दिया। फैसले की कॉपी बुधवार को मीडिया को हासिल हुई।
दिसंबर महीने में मुंबई पुलिस ने बार्क के पूर्व सीईओ को गिरफ्तार किया था। चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुधीर भाजिपाले ने दासगुप्ता की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी थी। मजिस्ट्रेट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि दासगुप्ता की अपराध संलिप्तता स्पष्ट है। ऐसे में उनको अदालत जमानत नहीं दे सकती है। अदालत ने पाया कि आरोपी पार्थो दासगुप्ता की अपराध में अहम भूमिका रही है।
गौरतलब है कि पार्थो दासगुप्ता साल 2013 से 2019 तक बार्क के सीईओ थे। पुलिस द्वारा जुटाए गए साक्ष्य बताते हैं कि दासगुप्ता ने चैनलों के लिए टीआरपी को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया था।
अदालत ने कहा कि मामले में बाकी आरोपियों से अभी पूछताछ बाकी है और दासगुप्ता सीईओ होने के बावजूद इस अपराध में शामिल रहे। ऐसे में उन्हें जमानत देना आसान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर दासगुप्ता को जमानत दी जाती है तो वह पुलिस द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनका हिरासत में रहना जरूरी है। याचिका में दासगुप्ता ने कहा था कि वे भी पूर्व सीईओ और मामले में आरोपी रोमिल रामगढिया की तरह ही हैं इसलिए उनको जमानत दे दी जाए।
अदालत ने इससे पहले रोमिल रामगढिया को जमानत दे दी थी। अदालत ने पाया कि दासगुप्ता की अपराध में ज्यादा भूमिका है। अदालत ने कहा कि जमानत के लिए दोनों आरोपियों की तुलना नहीं की जा सकती है। अदालत ने दासगुप्ता को न्यायिक हिरासत में भेजा था जिसके बाद दासगुप्ता ने जमानत के लिए याचिका दायर की थी। दासगुप्ता ने याचिका में कहा कि वे बार्क के एक कर्मचारी मात्र थे। उनके अलावा फैसले लेने वाले कई दूसरे लोग भी थे।
मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच का कहना है कि दासगुप्ता ने रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी के साथ मिलकर टीआरपी को प्रभावित करने का काम किया। पुलिस के मुताबिक ऐसा करने के लिए गोस्वामी ने दासगुप्ता को लाखों रुपये की रिश्वत दी थी। इन सब आरोपों से रिपब्लिक ने इंकार किया है। पिछले साल ये टीआरपी से जुड़ा घोटाला सामने आया था।