उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के युवक एंजेल चकमा की मौत के बाद से उसका परिवार सदमे में है। 9 दिसंबर को देहरादून में एंजेल पर 6 लोगों ने हमला किया था। एंजेल 17 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करता रहा। 26 दिसंबर को वह जिंदगी की जंग हार गया।

एंजेल के परिवार ने बताया है कि हमले से पहले उसने कहा था कि हम भारतीय हैं।

पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि छठा आरोपी अपने देश नेपाल भाग गया है।

एंजेल के दोस्त ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब हमलावरों ने उस पर नस्लीय टिप्पणी की तो एंजेल ने कहा, ‘हम चीनी नहीं हैं, हम भारतीय हैं, इसे साबित करने के लिए हमें कौन सा सर्टिफिकेट दिखाना होगा?’ एंजल के छोटे भाई माइकल ने भी पुलिस को ऐसा ही बयान दिया।

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क्या हुआ था उस दिन?

9 दिसंबर को एंजेल और उसका भाई माइकल चकमा देहरादून की एक कैंटीन में शराब पी रहे थे। सूरज ख्वास (22), अविनाश नेगी (25), सुमित (25) और कुछ युवक वहां पहले से मौजूद थे। देहरादून के एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, इस दौरान दोनों गुटों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। हमलावरों ने एंजेल पर धारदार हथियार और कड़े से हमला कर दिया।

इसमें एंजेल गंभीर रूप से घायल हो गया। 10 दिसंबर को इस संबंध में उसके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। अब इसमें हत्या के आरोप को भी जोड़ दिया गया है। जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें से तीन- अविनाश नेगी, सूरज ख्वास और सुमित को जेल भेज दिया गया है, दो नाबालिगों को सुधार गृह भेजा गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि एंजेल चकमा की हत्या में शामिल आरोपियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

बेटे की मौत से टूट गए पिता, मांगा इंसाफ

एंजेल चकमा की हत्या के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में तैनात उसके पिता तरुण चकमा टूट गए हैं और उसके लिए इंसाफ चाहते हैं। त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में स्थित अपने गांव मछमारा में अपने 24 वर्षीय बेटे का अंतिम संस्कार करने के बाद उन्होंने ‘पीटीआई भाषा’ से फोन पर बातचीत की। तरुण चकमा ने कहा कि उनका बेटा बेकसूर था जिसे बेरहमी से मार दिया गया।

पिता ने कहा कि एंजेल तो अपने छोटे भाई माइकल के साथ बाजार गया था, जहां हमलावरों ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया। फिलहाल मणिपुर के तांगजेंग में तैनात तरुण चकमा ने कहा कि उनके बेटे के हत्यारों को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं अपना बेटा खो चुका हूं और अब उसके साथ न्याय होना चाहिए।’

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने पहले घटना की रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया और आल इंडिया चकमा स्टूडेंटस यूनियन तथा पुलिस के उच्चाधिकारियों के दबाव के बाद घटना के दो-तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज की गयी।

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