Triple Talaq Bill in Lok Sabha: तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के लिए लोकसभा में लाए गया विधेयक एक बार फिर से पास हो गया। हालांकि मतविभाजन के समय कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने के प्रावधान का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया। सदन में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा के बाद जब कानून मंत्री ने इसे पारित कराने का प्रस्ताव किया तो कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का विरोध करती है और सरकार विपक्ष की बात नहीं सुन रही है।
उन्होंने कहा कि हमारे बार बार कहने पर भी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का प्रावधान विधेयक में बनाए रखा गया है। हम इसके विरोध में सदन से वाकआउट करते हैं।कांग्रेस के अलावा द्रमुक, सपा, बसपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, वाईएसआर कांग्रेस और आरएसपी के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।बाद में लोकसभा ने इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की। इस विधेयक पर मतविभाजन के दौरान कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी भी सदन में मौजूद थीं।
लोकसभा में फौरन तीन तलाक को अपराध बनाने वाला बिल गुरुवार को पास हो गया। इस बिल में यह प्रावधान है फौरन तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है।
हैदराबाद से सांसद अकबरुद्दीन ओवैसी का कहना है कि ट्रिपल तलाक बिल महिला विरोधी है। तीन तलाक बिल के विरोध में ओवैसी ने कहा कि इससे महिला पर बोझ बढ़ेगा, क्योंकि अगर शौहर जेल में चला जाएगा तो फिर महिला को पैसा कौन देगा।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक बिल का समर्थन नहीं करेगी। ऐसा करने से एक खास समुदाय के लोगों के बीच अविश्वास उत्पन्न होगा।
बसपा के दानिश अली ने कहा कि यदि सरकार समर्थन करने लायक बिल लाती हो हम आम राय से इस बिल का समर्थन करते। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी महिला सशक्तिकरण के मामले में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि सरकार क्यों इस सिविल ऑफेंस को क्रिमिनल ऑफेंस बना रही है।
जदयू के सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी विवादास्पद मुद्दे के साथ नहीं है। सिंह ने कहा कि यह बिल समाज के मन में अविश्वास पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी का रिश्ता आपसी सहमति और विश्वास का होता है। इसलिए इसे कानून के जरिये नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में समुदाय विशेष को निर्णय लेने अधिकार होना चाहिए। सिंह ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर हड़बड़ी से काम नहीं लेना चाहिए। उन्होंने धारा 370, अयोध्या, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया।
टीएमसी ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात कही। टीएमसी सांसद सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि सशक्तिकरण सिर्फ मुस्लिम महिलाओं का नहीं बल्कि सभी समुदाय की महिलाओं का होना चाहिए। उन्होंने बिल में सजा के प्रावधान पर आपत्ति व्यक्त की। इससे पहले संसद के बाहर कांग्रेस के प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि हम बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए कहेंगे। भट्टाचार्य ने कहा है कि इस बिल का लेजिस्लेटिव स्क्रूटनी होना चाहिए।
पीडीपी ने भी तीन तलाक बिल का विरोध करने का फैसला किया है। पार्टी का कहना है कि सरकार का यह कदम इस्लाम मे दखल देने की कोशिश है। डीएमके और राष्ट्रीय जनता दल भी इस बिल के विरोध में है।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि यदि तीन तलाक देने पर पति को जेल भेज देंगे तो परिवार के भरणपोषण और बच्चे की शिक्षा का क्या होगा। उन्होंने कहा कि क्या सरकार का यह बिल घरेलू हिंसा कानून से अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा घरेलू हिंसा कानून पहले ही काफी मजबूत है और उसमें मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं।
तीन तलाक पर बहस के दौरान रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है। प्रेमचंद्रन ने कहा कि आप क्यों नहीं तलाक देने पर हिंदू या ईसाई को सजा का प्रावधान करते हैं?
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से 24 जुलाई 2019 तक 345 मामले सामने आए हैं। केंद्रीय विधि मंत्री ने कहा कि अखबार में तीन तलाक के कई मामलों का जिक्र किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक के मामले में बदलाव किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्या हम अपनी मुस्लिम बहनों को ऐसे ही छोड़ सकते हैं। प्रसाद ने कहा कि लैंगिक समानता केंद्र सरकार की प्राथमिकता है।
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने तीन तलाक बिल का विरोध किया है। पुनिया ने कहा कि यह बिल परिवारों को तोड़ने वाला है। वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार इस बिल को जरूरी बदलाव के बाद फिर से पेश कर रही है।
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर जल्द ही चर्चा शुरू होने वाली है। कांग्रेस का कहना है कि वह बिल के मौजूदा स्वरूप से सहमत नहीं है। विपक्षी दल बिल में तीन तलाक देने पर अपराधी ठहराने वाले प्रावधान पर सहमत नहीं हैं।
लोकसभा में बृहस्पतिवार को तीन तलाक के अलावा दो अन्य बिल पेश किए जाएंगे। इनमें अंतरराज्यीय जल विवाद (संशोधन) बिल, 2019, नेशनल मेडिकल कमिशन बिल, 2019, डीएनए टेक्नोलॉजी (यूज एंड एप्लिकेशन) रेगुलेशन बिल, 2019 बिल पेश किए जाएंगे। वहीं, राज्यसभा में आरटीआई (संशोधन) बिल, 2019 और दीवाला और दिवालियापन कोड (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया जाएगा।
कांग्रेस सांसद के. सुरेश का कहना है कि जहां तक तीन तलाक बिल की बात है, इसके आपराधिक क्लॉज का पुलिस और सरकार द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए हम इस बिल का कड़ा विरोध करेंगे। इससे पहले सुरेश ने कहा था कि सरकार ने बिना विपक्ष को जानकारी दिए बुधवार रात तीन तलाक बिल को आज के एजेंडे में लिस्ट करा दिया।
एनडीए की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने सरकार की तरफ से पेश किए जाने वाले तीन तलाक बिल का विरोध करने का फैसला लिया है। पार्टी का कहना है कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए। पार्टी का कहना है कि तीन तलाक का अपराधीकरण होने के बाद पीड़ित महिलाओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।